आदर्श शिशु विद्या मंदिर सिंगोली में तुलसीदास जी की जयंती हर्षौल्लास से मनाई गई।
सिंगोली
Neemuch Hulchal
01 Aug 25 10:44 AM

सिंगोली :- सर्वप्रथम विद्यालय के प्राचार्य प्रकाशचंद्र जोशी ,विद्यालय की सचिव श्रीमती रेखादेवी जोशी एवं विद्यालय की शिक्षिकाओं के द्वारा मां सरस्वती व तुलसीदास जी के चित्र पर माल्यार्पण करके दीप प्रज्वलित किया और कंकु अक्षत पुष्प द्वारा पूजा अर्चना की। नेहा ,माया ने सरस्वती वंदना की। कार्यक्रम में खुशबू शर्मा, देवकन्या, हेमलता, सौम्या सोनी ,पूनम सोनी ,लक्ष्मी ,तनीषा ,सुमन ,नव्या प्रजापत, हीरा रेगर आदि ने तुलसीदास जी के जीवन के बारे में प्रकाश डाला। पिता का नाम आत्माराम दुबे ,माता का नाम हुलसीबाई तथा उनकी शादी रत्नावली से हुई । तुलसीदास जी पत्नी से बहुत प्रेम करते थे ।
विद्यालय के सचिव श्रीमती रेखा देवी जोशी ने बताया की पत्नी के प्रेम मे गणगौर वर्षा में नदी नाले उफान पर थे तब नदी में बहते हुए शव को लकड़ी का गट्टा समझकर उन्होंने नदी पार कर ली और पत्नी के मायके रत्नावली के घर पहुंच गए वहां देर रात होने से सारे गेट बंद हो गए थे। गैलरी में एक सांप लटक रहा था तुलसीदास जी उसे रस्सा समझ कर पकड़ कर रत्नावली के कमरे में पहुंच गए इससे उनकी पत्नी रत्नावली बहुत दुखी हुई उन्होंने कहा कि आप जितना प्रेम मेरे हार्ड मांस शरीर से करते हो उतना यदि आप भगवान प्रभु की भक्ति में लगाओगे तो आपका उद्धधार हो जाएगा आपका मेरे प्रति प्रेम जो है वह आपकी राम भक्ति में बाधा बन रहा है इसलिए मैं यहां आ गई थी ।आप मेरे से ज्यादा प्रेम न करके भगवान राम से प्रेम करें और अपना जीवन भगवान राम में लगा दें इस प्रकार से उन्होंने काम यात्रा से राम यात्रा पूर्ण की और वह तुलसीदास जी से गोस्वामी तुलसीदास जी बन गए । इस प्रकार तुलसीदास जी ने रामचरितमानस ,दोहावली, कवितावली, विनय पत्रिका आदि ग्रंथ की रचना की ।
कार्यक्रम में विद्यालय की सभी शिक्षिकाएं ग्रीन साड़ी पहनकर आई जो कि कार्यक्रम का आकर्षण रही। कार्यक्रम में शिक्षिकाएं पायल प्रजापत, गोरी ग्वाला, ज्योति शर्मा, पूजा शर्मा, कविता बैरागी, ललिता प्रजापत, रेणुका लबाना, सुनीता सेन उपस्थिति रही ।