प्रदूषण एवं प्राकृतिक संसाधनों के बेहिसाब दोहन से पहले ही प्रकृति का संतुलन बिगड़ चुका है वायुमंडल का तापमान बढ़ने के लिए पहले ही औद्योगीकरण एवं शहरीकरण काफी हद तक जिम्मेदार है जिसमें ग्रीन हाउस गैसों का संतुलन प्रभावित हो गया है वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल आर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर के 56 देश क्लाउड सेंडिंग का प्रयोग कर रहे हैं मगर फायदे नुकसान पर चुप्पी साधे हुए इस बारे में यदा-कदा कुछ सामने आता है पर दावे के साथ कुछ भी कहने की स्थिति में कोई नहीं है ऐसे प्रयोग प्रकृति के लिए फायदेमंद या नुकसान दायक इस विषय पर जनमानस अपने-अपने तर्क देकर जरूर खुद तसल्ली कर लेते हैं मगर हाल ही में जिस तरह प्राकृतिक के प्रकोप एकाएक सामने है उसकी वजह सांस्कृतिक विरासत को नुकसान पहुंचा कर जिस प्रकार औद्योगिकरण हावी हो रहा है उसके चलते प्राकृतिक प्रकोप भी बढ़ते जा रहे हैं ऐसा ही मामला नीमच जिले की रामपुरा तहसील में ग्रीनको प्राइवटे लिमिटेड द्वारा पावर प्रोजेक्ट लगाने के दौरान देखने में सामने आ रहा है यहां प्राकृतिक संसाधनों का दोहन जरूर से ज्यादा किए जाने पर प्रकृति कभी भी अपनी सीमा तोड़कर विनाश को आमंत्रित कर सकती है गौरतलब हो की नीमच हलचल समाचार पत्र के माध्यम से पहले भी इस विषय में एक खबर प्रसारित कर खतरे से आगाह किया गया था परंतु उसके बाद भी उक्त क्षेत्र में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के साथ प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के चलते लगातार ब्लास्टिंग की जा रही है जिससे प्राकृतिक क्षेत्र एवं आस्था का केंद्र कहे जाने वाले केदारेश्वर महादेव में कभी भी जोशीमठ जैसी स्थिति निर्मित हो सकती है ग्रीनकोप्राइवेट लिमिटेड द्वारा पावर प्रोजेक्ट लगाने की एवज में अरावली पर्वतमाला क्षेत्र में गहरी खुदाई एक्सक्लूजिव संसाध्नों द्वारा की जा रही ब्लास्टिंग से जिसके कारण अरावली पर्वतमाला की कंदराओं में स्थित केदारेश्वर महादेव जो की प्राकृतिक सौंदर्य का अनुपम उदाहरण है वहां लगातार पत्थरों की बारिश एवं पहाड़ों में दरारें पढ़ाना प्रारंभ हो गई है जिसके चलते कभी भी कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है परंतु जिम्मेदारों ने इस और अपना ध्यान देना बंद कर दिया है पांडव कालीन केदारेश्वर महादेव का इतिहास बरसों पुराना है यहां अरावली पर्वतमालाओं में अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने एक दिव्य शिवलिंग की स्थापना कर पूजा अर्चना की थी तभी से उक्त स्थान को केदारेश्वर नाम से जाना जाने लगा इस मंदिर क्षेत्र पर नीमच मंदसौर जिले के लाखों लोगों की आस्था है एवं हरियाली अमावस्या एवं शिवरात्रि के दिन यहां एक दिवसीय मेला आयोजित किया जाता है जिसमें लाखों की संख्या में भक्तजन दर्शनार्थ उक्त मंदिर पर पहुंचकर भगवान भोलेनाथ के अनुपम सौन्दर्य के दर्शन करते हैं अभी विगत कई दिनों से पावर प्रोजेक्ट के एवज में की जा रही प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के चलते कभी भी मंदिर क्षेत्र में कोई अनहोनी होने के दावे से इनकार नहीं किया जाता क्योंकि केदारेश्वर महादेव पहाड़ियों से घिरी हुई कंदराओं में लगभग 100 फीट नीचे हैं और ऐसे में ऊपर से पत्थरों का गिरना कभी भी मंदिर क्षेत्र को नुकसान पहुंचा सकता है जिसके चलते रामपुरा क्षेत्र में दुधाखेड़ी माताजी मंदिर वाली स्थिति निर्मित हो सकती है परंतु ना तो इस और केदारेश्वर जीर्णोद्वार समिति का कोई ध्यान है ना ही ग्रीन को पावर प्रोजेक्ट कंपनी इस और कोई ध्यान दे रही है ना क्षेत्र में धरम के ठेकेदारो धर्म के ठेकेदार कहे जाने वाले लोगों ने इस विषय में कोई संज्ञान लिया है लगता हे सभी मिलकर किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहे हे