Neemuchhulchal (रिपोर्टर हुकुम सिंह) ✍️✍️ नौरोजाबाद तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत महुरा (गोगा नगरी) में सार्वजनिक महाराणा क्षत्रिय सभा द्वारा नव दिवशीय श्री राम कथा के अष्टम् दिवस में अयोध्या से पधारे हुए कथा वाचिका -मानस विदुषी देवी चंद्रकला जी ने अरयंड कांड एवं शबरी प्रसंग का वर्णन किया श्री राम कथा के माध्यम से कथा व्यास जी ने अरयंड में धर्म एवं साधु जनों के संरक्षण का भव्य निरूपण है, विराट नमक रक्षा के वध तथा महर्षि शरभंग की कथा की वर्णन किया है उन्होंने भयंकर बलशाली विराध रक्षा का वध करने के पश्चात राम- सीता और लक्ष्मण महर्षि शरभंग के आश्रम में पहुंचे, महर्षि शरभंग अत्यंत ब्रद्ध थे, उनका शरीर जर्जर हो चुका था ऐसा प्रतीत होता था कि उनका अंत काल निकट है, सीता और लक्ष्मण सहित राम ने महर्षि के चरण स्पर्श किया और उन्हें अपना परिचय दिया। महर्षि शरभंग ने सत्कार करते हुए कहा हे राम! इस प्रांत में कभी-कभी ही तुम जैसे अतीत आते हैं अपना शरीर त्याग करने के पहले आपका दर्शन करना चाहता था। इसलिए आपकी ही प्रतीक्षा में मैं अब तक अपना शरीर नहीं ज्यादा था अब आपके दर्शन हो गए इसलिए मैं इस नज़र एवं जर्जर शरीर का परित्याग कर ब्रह्म लोक में जाऊंगा मेरे शरीर त्याग के बाद इस वन में निवास करने वाले महामुनी सुतीक्ष्ण के पास चले जाना वही आपका कल्याण करेंगे। शबरी प्रसंग का वर्णन कथा व्यास जी ने बताया कि शबरी कोमल हृदय भक्ति के रूप में जाना जाता है जिनके झूठे- बेर जय श्री राम ने बड़े ही प्रेम से आए थे राम भक्त शबरी एक आदिवासी भील की पुत्री थी इन आदिवासियों की एक तथा के अनुसार किसी भी शुभ कार्य से पूर्व निधि है जानवरों की बलि दी दी जाति थी कि जब शबरी पिता ने शबरी का विवाह निश्चित किया तो उन्हें उन जानवरों की चिंता सताने लगी और शबरी का मन में विचार हुआ कि यदि वह घर से भाग जाएं तो निधि पशुओं की जान बच जाएगी। शबरी ने अपने राम के पहुंचे और आश्रम चलने का आग्रह किया जिसे श्री राम ने स्वीकार किया रोज की भांति शबरी ने आज भी श्री राम के लिए आश्रम सजाया था और बाघ के सबसे मीठे मीठे बेर चक चक कर अपने प्रभु के लिए लाई थी प्रभु राम ने प्रेम से बैर ग्रहण किये मातंगी रिश्र का आशीर्वाद फलित हुआ, वहीं से शबरी को राम (मोक्ष) मिले और ऐसे भगवान श्री राम कहलाए शबरी के राम! यह प्रसंग सुनकर आए हुए श्रोतागण भाव बिहार होकर मंत्र मुग्ध हो गए।।