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रामपुरा मे लखेरा समाज का दो दिवसीय जयंती महोत्सव का समापन, श्री चैनामाता कुशलामाता के साथ निकली भगवान शालिग्राम जी की बारात

सकल लखेरा पंच रामपुरा द्वारा श्रीचैनामाता -कुशलामाता श्रीरूपजी महाराज के दो दिवसीय जयंती महोत्सव के तहत दूसरे दिन नगर रामपुरा नाका न. 01 मंदिर परिसर से श्रीचैनामाता श्रीकुशलामाता के साथ रूपजी महाराज का चल समारोह व शालिग्राम की बारात निकाली गई। इस बारात में भगवान का आकर्षक श्रृंगार किया। बारात में बैंडबाजों की धुन पर समाजजन थिरकते चल रहे थे। इस दौरान दिलदिली घोड़ी, भजन मंडली व नृत्यांगनाओं का नृत्य मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा। कलश यात्रा में सबसे आगे घोड़े चल रहे थे जिन पर सवार श्रद्धालु धर्म पताका लेकर बैठे थे। उनके पीछे बड़ी संख्या में लोग भगवा रंग की धर्म पताका लेकर पैदल चल रहे थे। पीले वस्त्र धारण किए अनेक महिलाएं सिर पर कलश लेकर मंगल गीत गाते हुए चल रही थी। इसके बाद समाज के लोग भी नृत्य करते हुए चल रहे थे। पीछे दो रथ में मातेश्वरी श्री चैनामाता श्रीकुशलामाता विराजमान थी। वही दूसरे रथ में भगवान शालिग्राम सुसज्जित रथ में लेकर सवार थे। चल समारोह बादीपुरा, कुशालपुरा, रामलीला मैदान, लालबाग, छोटा बाजार सहित नगर के प्रमुख मार्गों से होता हुआ पुनः आयोजन स्थल श्रीचैनामाता श्रीकुशलामाता मंदिर पहुंचा। यहां माता तुलसी जी का विवाह बाह्मणों द्वारा वैदिक परपंरा एवं विधि-विधान के साथ संपन्न कराया। विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद माँतेश्वरी की महाआरती की गई। श्री श्री 1008 संत नित्य बिहारीदास जी नीमच का स्वागत कर सम्मान किया गया। रामपुरा में लखेरा समाज की कुलदेवी श्री चैनामाता श्री कुशलामाता का अति प्राचीन मंदिर होकर राजवंश कालीन मंदिर है तत्कालीन समय पर लक्षकार समाज को राजपुत समाज के तौर पर माना जाता था। रामपुरा नगर के मंदिर में स्थित भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा दिव्य अलौकिक प्रतिमा है। प्रति वर्ष आयोजित होने वाले इस आयोजन मे समाज जन मातेश्वरी के दर्शन के लिए मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान के कई जिलों सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से श्रद्धालुओं समारोह में भाग लेने पहुंचते हैं। कार्यक्रम में उत्सव समिति के अध्यक्ष दिनेश केथुनिया, मन्दिर समिति अध्यक्ष महेश चौहान तथा निर्माण समिति अध्यक्ष माधव बागड़ी, समिति सदस्य कैलाश सोलकी, हरीश भाटी, अशोक बागड़ी, दिनेश भाटी, संदीप सोलंकी, शिवलाल केथुनिया, राजेश लक्षकार, गोपाल सोलकी, महेन्द्र केथुनिया, कैलाश परिहार, दिपक सोलकी, अशोक गेहलोद, मुकेश केथुनिया, लालचंद बागड़ी, किशोर बागड़ी सहित काफी समाज जन मौजूद रहे।

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