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सिंगोली अंचल में महिलाओं ने मनाया दशामाता पर्व, धागा लपेटकर मांगी परिवार की सुख-समृद्धि की कामना

सिंगोली ।चैत्र कृष्ण दशमी को मनाए जाने वाले दशा माता के पर्व को लेकर महिलाओं में विशेष उत्साह देखने को मिला. शुभ मुहूर्त के अनुसार महिलाएं शृंगार करके, पूजा की थाल सजाकर विधिवत पीपल की पूजा की. पीपल की पूजा के लिए पूजा थाल में तांबे का कलश, श्रीफल, अक्षत, चंदन, केसर, गुलाल, कपूर, सूत, दशामाता का धागा, गेहूं आदि सजाया हुआ था. झांतला नई आबादी स्थित भोलेनाथ मन्दिर परिसर में बड़ी संख्या में सुहागिन महिलाओं ने चुंदड़ी का वस्त्र धारण कर दशामाता का पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया. इस दिन पुरे सिंगोली - झांतला अंचल की औरते दशा माता का व्रत कर के, घर-परिवार के बिगड़े ग्रहों की दशा और परिस्थितियों को अनुकूल बनाने के लिए व्रत करती है. श्रद्धालु महिलाओं ने पीपल के पेड़ की परिक्रमा कर पूजा-अर्चना की.वहीं, पीपल वृक्ष पर कच्चे सूत का धागा लपेटकर परिवार में सुख-समृद्धि की कामना की. इस दौरान पीपल पेड़ ,पूजा स्थल दशा माता के जयकारों से गूंज उठे. इस दौरान महिलाओं ने पीपल की सात बार परिक्रमा कर घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने की मन्नत मांगी.जिन महिलाओं की मन्नतें पूरी हुई. महिलाओं ने कच्चा सूत हाथ में लेकर पीपल की प्रदक्षिणा की. सूत को पीपल के चारों ओर लपेटा. इससे पहले महिलाओं ने पीपल के समीप पत्थर पूजन किया. पूजा-अर्चना के बाद महिलाओं ने दशा माता की कथा सुनी. उसके बाद पीपल को देव रूप मान कर इच्छित प्राप्ति की कामना की. साथ ही पूजा में चढ़ाया जाने वाला 10 मुठ्ठी अनाज को पीस कर भोग के लिए गुड के लड्डू का प्रसाद बनाया , जिसे प्रसाद के रूप में सभी को बांटा गया. नई आबादी स्थित भोलेनाथ मन्दिर परिसर में सुहागिन महिलाओं को पंडित सुमंत शर्मा झांतला ने कथावाचन के दौरान बताया कि दशामाता व्रत की पूजा अर्चना कर शारिरिक स्वास्थ्य , मानसिक , आर्थिक , संपदा ओर परिवार में सुख , सम्रद्धि , की कामना की जाती है । पंडित शर्मा ने दशामाता की वेल का महत्व बताया कि दशामाता पूजा समाप्ति के बाद महिलाओं द्वारा दशावेल धारण की जाती है । दशावेल हल्दी से रंगा हुआ पिला पीले रंग का एक धागा होता है । जिसमे दस गांठे होती है । महिलाएं इस वेल को वर्ष भर गले मे धारण करती है । पूजा के बाद पीपल की छाल को सोना मानकर कनिष्ठा या चट्टी अंगुली से खुरेचकर घर लाया जाता है । साथ ही अपने घर व परिवार की बुजर्ग स्त्रियों के पैर छूकर उनसे सौभाग्य व सम्रद्धि का आशीर्वाद लिया जाता है ।

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