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जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते बर्बादी की कगार पर खड़ा रामपुरा शहर

नीमच जिले के अंतिम छोर पर स्थित तहसील मुख्यालय रामपुरा आजादी से पहले अपने पुरातत्व वैभव एवं आर्थिक विरासत को समेटे अविभाजित मंदसौर जिले के सबसे संपन्न शहरों में गिना जाता था इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हे की यहाँ आजादी से पहले के हॉस्पिटल विद्यालय महाविद्यालय ओद्योगिक प्रशिक्षण संस्था आज भी विद्यमान हे एक समय रामपुरा होलकर स्टेटे की राजधानी एवं नीमच मंदसोर जेसे शहरो की तर्ज पर एजुकेशन हब के तोर पर जाना जाता था आजादी के बाद सिंचाई सुविधाओ के विस्तार के लिए अनेको बांधो का निर्माण प्राम्भ हुआ चम्बल नदी पर बना गांधीसागर बांध भी उनमे से एक था इस बांध के बनने के साथ ही शुरू हुयी रामपुरा नगर को समाप्त करने की पटकथा गांधीसागर बांध के कारण अविभाजित मंदसोर जिले के 59 गाव पूर्ण रूप से डूब में 169 गाव आंशिक रूप से डूब से प्रभवित हुए परन्तु गाँधी सागर बांध के निर्माण के समय तात्कालिक जनप्रतिनिधियों ने रामपुरा नगर वासियों को बांध निर्माण से होने वाले दिवास्वप्नो को दिखाकर खूब छला यहाँ के लोगो को मुफ्त बिजली एवं मुफ्त पानी के सपने दिखाए जो आज तक बदस्तूर जारी हे बांध निर्माण से रामपुरा नगर जिसकी जीविका इन डूब गर्सित गावो से चलती थी अपनी जीविका के सरे साधन संसाधन बांध निर्माण के चलते समाप्त हो गए और रामपुरा नगर जिसने आपना सब कुछ इस बांध के निर्माण में खो दिया उसे मुवाजे के तोर पर भी कुछ हासिल नहीं हुआ यहाँ की जनता ने भी कभी अपने अधिकारों के लिए लड़ाई नहीं लड़ी हमेशा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के लोक लुभावने वदो के मोह में रामपुरा नगर की आबरू लुटते देखते रहे एसा कोई सगा नहीं जिसने हमें ठगा नहीं रामपुरा नगर के साथ छलावा करने में गांधी सागर बांध के साथ ही यहां के जनप्रतिनिधियों में भी कोई कसर नहीं छोड़ी रामपुरा नगर के पहले विधायक श्री रामलाल पोखरना अगर चाहते तो उक्त समय पहली विधानसभा में पहले विधायक थे जो रामपुरा का प्रतिनिधित्व कर रहे थे अगर वह चाहते तो रामपुरा नगर को को किसी बड़े रोड या कोई बड़ी सौगात दिला सकते थे कांग्रेस शासनकाल में रामपुरा नगर में संचालित होने वाले कंबल केंद्र यहां से चले गए और यहां के जनप्रतिनिधियों ने अपने कान पर जूं तक नहीं रेंग ने दी मध्यप्रदेश शासन में कैबिनेट मंत्री रहे नरेंद्र नाहटा जो रामपुरा में ही अपने आपको रामपुरा का बेटा या सपूत कहते हे हैं उन्होंने भी रामपुरा नगर को लेकर कभी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई केवल वोटों के वक्त लोक लुभावने वादे किये एवं लाभ मंदसोर नगर को दिया एवं उसके बाद 5 साल पलटकर रामपुरा नगर की तरफ नहीं देखा यही यहां के जनप्रतिनिधियों का आचरण रहा है भाजपा शासनकाल में भी दो कैबिनेट मिनिस्टर गृहमंत्री एवं वित्त मंत्री जैसे पद पर आसीन रहने वाले विधायक एम् पी सहित सभी ने इस शेत्र को नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी केवल पूर्व सांसद बालकवि बैरागी द्वारा रामपुरा नगर को जवाहर नवोदय विद्यालय की सौगात एकमात्र ऐसी सौगात है जिसके कारण रामपुरा को पहचान मिली है अभी वर्तमान में मध्यप्रदेश शासन में रामपुरा नगर के सपूत वित्त मंत्री के पद पर आसीन है क्षेत्र के सांसद राष्ट्रीय सह कोषाध्यक्ष के पद पर आसीन है फिर भी कभी भी किसी जनप्रतिनिधि है रामपुरा नगर की तरफ अपना ध्यान नहीं दिया जिसके चलते पुरातात्विक वेभाव वाला नगर आज अपना सब कुछ लुटा कर अपने अस्तित्व की अंतिम सांसे गिन रहा है अभी वर्तमान मेंमध्य प्रदेश शासन द्वारा पुरे प्रदेश में सीएम राईज स्कूल खोले गए जिसकी जरूरत रामपुर नगर को ज्यादा थी वह भी मनासा चला गया क्षेत्र के सांसद महोदय द्वारा मनासा विधानसभा 3: पीएम श्री विद्यालय में से भी एक भी रामपुरा को नहीं मिल पाया क्षेत्र के सांसद सुधीर गुप्ता द्वारा सोनडी भरामा पुल निर्माण एवं नीमच रामगंज मंडी रेलवे लाइने के सर्वे में भी कोई रूचि नहीं दिखाना न ही इस शेत्र के विकास के लिए कोई पहल नहीं करना समझ से परे है क्या जन प्रतिनिधियों के लिए रामपुरा केवल वोट बैंक बनकर ही रहेगा पहले भी ठगा गया अभी भी ठगा जा रहा हे अभी वर्तमान में रामपुरा क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों ग्रीन को दिलीप बिल्डकॉही नहीं दिखाई गई न एवं l&t कंपनी जो अपने प्रोजेक्ट लगा रही है उसमें भी जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते क्षेत्र वासियों को रोजगार से मरहूम रखा जा रहा है कंपनियों ने अपनी पॉलिसी निकाली है जिसके तहत 50 किलोमीटर क्षेत्र के बाहर के लोगों को ही कंपनी में रोजगार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं जबकि इससे पूर्व ग्राम खीमला में आयोजित ग्राम सभा में प्रस्ताव पास किया गया था कि उक्त कंपनियों में क्षेत्रीय लोगों को रोजगार दिया जाएगा एवं पहली प्राथमिकता क्षेत्र के लोगों को दी जाएगी जिसमें क्षेत्र के सभी जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित थे फिर भी रामपुर क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार अनवरत जारी है और क्षेत्र के जनप्रतिनधि इस विषय पर मोन धारण कर बेठे हुए हे रामपुरा में पलायन जारी आज से दो दशक पूर्व रामपुरा नगर जिसकी आबादी १८ हजार थी जो आज घट कर 13 हजार के लगभग रह गयी हे एक समय रामपुरा नगर पालिका हुआ करती थी जो आज नगर पंचायत हे दिन पतिदिन रामपुरा से लोगो का पलायन जारी हे अगर जनप्रतिनिधि की यही उदासीनता रही तो वह दिन दूर नहीं जब नगर परिषद् से रामपुरा ग्राम पंचायत बन कर रह जाएगी जानवरों की बसाहट में इंसानों को खदेड़ा जा रहा वर्तमान में रामपुरा जंगल शेत्र में केंद्र सरकार चिता प्रोजेक्ट अमल पर लाया जा रहा हे जिसके कारण गाँधी सागर डूब के विस्थापित एवं पशुपालको को खदेड़ा जा रहा हे जो लगभग 50 सालो से इस शेत्र में रहकर इस जंगल शेत्र को अपने खून पसीने से सींच कर खेती के लायक बनाया इसमें वे पशुपालक भी हे जिनका पशुपालन का व्यवसाय इन जंगलो पर ही आधारित हे इस कारण से विस्थापितों के सामने एक बार फिर भूखो मरने की नोबत आ गई हे

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