[मुकेश राठौर ] नीमच जिले की रामपुरा तहसील अंतर्गत बुज में वन भूमि पर केंद्र सरकार की चिता प्रोजेक्ट के तहत वन भूमि पर तार फेंसिंग करने गए वन विभाग के अमले को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा। मध्य प्रदेश के जंगल क्षेत्र में केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी चीता प्रोजेक्ट परियोजना को दिन प्रतिदिन ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है नीमच जिले के गांधी सागर अभ्यारण क्षेत्र में केंद्र सरकार के चिता प्रोजेक्ट को लगाने पर विगत 50 साल से विस्थापित पशुपालकों के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है वन विभाग द्वारा चीता प्रोजेक्ट के अंतर्गत वन भूमि को कब्जे में लेकर उस पर तार फेंसिंग की जा रही है जिसके चलते क्षेत्र के पशुपालक जिनका आजीविका का साधन केवल पशुपालन है उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ रही है जिसके चलते वन विभाग को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है ऐसा ही मामला शनिवार को रामपुरा तहसील के बूज ग्राम के पास वन विभाग का अमला मय दलबल के साथ वन भूमि को अपने कब्जे में लेने के लिए पहुंचा जहां आज आसपास के ग्रामीणों ने वन विभाग कि उक्त कार्रवाई पर अपना विरोध प्रदर्शन कराया इस दौरान चेनपुरिया रावली कुड़ी भुज बस्सी जूनापानी आदि क्षेत्र से अनेकों ग्रामीण वन विभाग की कार्रवाई का विरोध करने पहुंचे ग्रामीणों का विरोध देख प्रशासन ने अपनी कार्रवाई बंद कर बैरंग लौट गया ग्रामीणों का कहना हे की हम शासन योजना के विरोध में नहीं हे पर वन विभाग द्वारा नित नए नियम लाकर दिन प्रतिदिन अपनी सीमाओ से बहार आकर ग्रामीणों के हितों की अनदेखी कर तुगलकी फरमान जारी कर रही हे वन विभाग के अधिकारी भोले भाले ग्रामीणों पर येन केन प्रकरणों में फसाकर क़ानूनी कार्यवाही की धमकिया दे रहे हे ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन को दो टूक शब्दों में कहा कि कुछ चीतों को बसाने के चक्कर में हजारो इसानो एवं पशुओ को भूखा नहीं मरने दिया जाएगा हमारी जीविका का साधन हमसे छीना जा रहा है जिसके चलते हमारे परिवार जो केवल पशुपालन पर ही निर्भर हैं भूखे मारे जाएंगे अगर प्रशासन हमें मारने पर ही उतारू हे हम लोग लोग प्रशासन का विरोध करते हुए अपने प्राण त्यागने को तैयार हैं