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चचोर में झोला छाप बंगाली डॉक्टर और उनके क्लीनिक से निकले हुए कूड़ा कचरा का आतंक जो बन रहा है महामारी का सबक

Neemuchhulchal रिपोर्टर दशरथ माली ✍️✍️ ग्राम चचोर में झोलाछाप बंगाली डॉक्टर का आतंक इस तरह हावी हो गया है कि बीना डिग्री के यह लोगों का इलाज कर रहे हैं। और इनके अस्पताल से निकला हुआ कूड़ा कचरा जो नष्ट करने की बजाय क्लीनिक के पास ही नाले में फेंक रहे हैं ।जिससे महामारी का खतरा मंडराया रहता है आप देख सकते हो वीडियो के माध्यम से की किस तरह से झोला छाप डॉक्टर ने इंजेक्शन सीरीज और सभी कांच के बारदान बोतल यह सब किस तरह नाले में फेंक रखी है जिससे मवेशियों और जानवरों का भोजन बन रहे हैं। यह सारी सीरीज और दवाइयां उनके शरीर में जाती हैं जिससे उनका जीवन खतरे में पढ़ रहा है ।।पर डॉक्टर है जो अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा हैं ना तो इसके पास कोई वेद लाइसेंस और ना ही उनके पास कोई परमिशन है । ऐसे डॉक्टरों की हरकत तो से लोगों की जान जोखिम में पड़ रही है दूसरा जानवरों की जान भी जोखिम में पढ़ रही है। झोला छाप बंगाली डॉक्टर के लूट का धंधा चरम सीमा पर है।। जबकि अस्पताल से निकला हुआ कूड़ा कचरा अलग-अलग डस्टबिन में डालकर जमीन के भीतर नष्ट करना होता है। अस्पताल के कूड़े करकट को सही तरीके से ठिकाने न लगाने के कारण अनेक तरह की बीमारियां हो सकती हैं इनमें से अधिकांश घातक हैं जैसे कि एड्स वायरल हेपिटाइटिस क्षय रोग स्वास्थ्य नाली ग्रोथ ब्रैकेट अमाशय और आंतों की सूजन और त्वचा और आंखों से संबंधित रोग।। अस्पताल से निकला हुआ कूड़ा करकट पास ही बने नाले में फेंक दिया जाता है अधिकांश औषधालय अपना कचरा जिससे दूषित पत्तियां और प्लास्टर शामिल है अपनी दीवाल के बाहर फेंक देते हैं लगभग सभी छोटे डॉक्टर डिस्पोजेबल सीरीज या तो कूड़ेदान में या अपनी दुकान के बाहर फेंक देते हैं केवल 0.0001% निजी अस्पताल स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करते हैं बाकी सब नियमों का उल्लंघन करते हैं गिला कचरा सूखा कचरा और खतरनाक सीरीज के लिए अलग से डस्टबिन सुविधा बना रखी है पर डॉक्टर है जो उनका उपयोग ना करते हुए नदी नाले में फेककर ग्रामीण इलाकों में एक महामारी का प्रकोप फेला रहे हैं। ऐसे लापरवाहक पूर्वक और झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होना चाहिए जिस तरह से आप वीडियो में देख सकते हो कितनी सीरीज और दवाइयां के खाली वरदान खुले में फेंक रखे हैं चचोर से संवादाता दशरथ माली की रिपोर्ट

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