Neemuchhulchal ✍️Mukesh Rathor: चम्बल घाटी परियोजना के अंतर्गत बने गाँधी सागर बांध के जलाशय से लगभग ढाई दशक बाद 3500 मछुआरों के परिवार का पलायन शुरू हो गया है। कारण कि इस जलाशय को अब राज्य सरकार ने मत्स्य महासंघ को दे दिया है, जिसने यहां ठेकादारी प्रथा शुरू कर दी है। जबकि पूर्व में यह मछुआरों के मत्स्य निगम के पास था। इसके तहत इस जलाशय में मछुआरों की सहकारी समितियां मछली पालने और उसे बेचने का काम करती थीं। अब चूंकि महासंघ के पास ठेका है तो वह मछुआरों को अच्छी मछली नहीं मिलती है क्योंकि वे मछली का बीज अच्छी किस्म का नहीं डालते। इसके बाद सरकार ने इस जलाशय को ठेके पर देने के लिए निविदा जारी करना शुरू कर दिया। ऐसे में यह जलाशय ठेकेदारों के पास चला गया। ये लोग मछुआरों को केवल मजदूरी ही दिया करते हैं। ठेकेदारी में मछुआरों को मजदूरी तो मिलती है, लेकिन जलाशय में मछलियां कम मिलती है। पलायन करने वाले मछुआरे बताते हे की मत्स्य महा निगम 2001 तक ही चला। इसके बाद पुनर्वास आयोजन समिति की बैठक हुई, जिसमें फेडरेशन की अवधि बढ़ाने की मांग की गई। इसके बाद 2001 से 2005 तक के लिए जलाशय पर फेडरेशन के अधिकार की अवधि बढ़ाई गई। उस वक्त दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे। लेकिन मत्स्य महासंघ के अधिकारियों ने कोर्ट से इस आदेश पर स्थगनादेश ले लिया। बाद में कोर्ट ने उनके हक में फैसला सुनाया। उन्होंने जलाशय के टेंडर जारी किए। तभी से ठेकेदारी प्रथा चल रही है। मछली का बीज सरकार ओर की तरफ से डाला जाता है। वो बहुत कम बीज डालती है, जिस वजह से मछली का उत्पादन घटता जा रहा है, इसका असर मछुआरों की मजदूरी पर पड़ रहा है। ऐसे में, अब उनके पास पलायन के अलावा कोई चारा नहीं बच रहा है। ध्यान रहे कि एक समय गांधीसागर जलाशय काफी प्रसिद्ध था। यहां मछलियों के उम्दा बीज डाले जाते थे। उस जलाशय से उम्मीद से ज्यादा मछलियां रोज पकड़ी जाती थीं, जिसे दिल्ली, हावड़ा, नागपुर जलपाईगुड़ी सिलीगुड़ी आदि मार्केट में बेचते थे। पहले फेडरेशन था तो बढ़िया बीज डाले जाते थे, लेकिन अब सरकार डालती है, जो अच्छी नहीं होती है। जैसे ही जलाशय फेडरेशन के हाथ से ठेकेदारों के पास गया, जलाशय में औसत बीज डाला जाने लगा और इसका हश्र यह हो यह रहा है कि मछुआरों को अपना परिवार पालना मुहाल हो रहा है। विगत २ सालो से नहीं डाला जा रहा बीज मछुआरों का आरोप है कि विगत 2 सालों से गांधी सागर जलाशय में मत्स्य बीज नहीं डाला जा रहा इसमें ठेकेदार एवं मत्स्य महासंघ की मिली भगत के चलते भ्रष्टाचार कर कागजी खानापूर्ति कर बड़ा भ्रष्टाचार किया जा रहा हे जिसके कारण मछुआरों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है ऐसे में रिकॉर्ड मछली का उत्पादन देने वाली गांधी सागर बांध परियोजना के मछुआरे अब उक्त जलाशय को छोड़कर पलायन करने लगे