Neemuchhulchal (रिपोर्टर मुकेश राठौर )✍️✍️ जिले में सड़क पर निकलना मतलब जान हथेली पर रखकर घूमना। हर पल सिर पर मौत मंडराती रहती है, लेकिन हुक्मरानों को हादसों को इंतजार है। जिले में बिजली के तार हादसों को दावत दे रहे हैं। हर महीने सुविधाओं के नाम पर लाखों रुपये खर्च करने का दावा किया जाता है, लेकिन हकीकत दावों को खोखला साबित कर रही है। शहर में झूलते विद्युत तार जानलेवा बन रहे हैं। आए दिन टूटने वाले तारों को लेकर परेशान लोगों की शिकायतों पर भी विभाग नजरअंदाज करता दिखाई दे रहा है। ऐसा लगता है कि शायद उन्हें हादसों का इंतजार है। कई जगहों पर इस तरह के दृश्य देखे जा सकते हैं। पूरे शहर में कहीं भी तारों के नीचे जालियां नहीं है। शहर के व्यस्ततम एरिया गोमा बाई हॉस्पिटल रोड से गुजर रही लाइन भी जालियों के बगैर हैं। यहां से रोज हजारों की संख्या में बच्चे गुजरते हैं, लेकिन कोई व्यवस्था नहीं की गई। जिले के अधिकतम व्यस्तम एवं रिहायशी एरिया भी कुछ ऐसा ही आलम है। तार जर्जर हो चुके हैं। बीच से गुजरती लाइन से कभी भी हादसा हो सकता है। आए दिन तार टूटते भी हैं, लेकिन विभाग उनको बदलवाने की बजाय जुड़वाकर इतिश्री कर लेता है। शहर के मुख्य बाजार घंटाघर और कमल चौक में तो खंभों पर तारों का झुंड साफ देखा जा सकता है। आलम यह है कि आए दिन इन तारों से स्पार्किंग होती है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं, लेकिन विद्युत निगम के अधिकारी आंखें बंद किए हुए हैं। मानकों के अनुसार हर हाईटेंशन लाइन के नीचे तारों की जाली होना आवश्यक है, लेकिन जिले में कहीं भी यह नजर नहीं आता। झूलती केबल तारो के सहारे चल रही बिजली आपूर्ति शहर के तमाम मोहल्लों में बिजली आपूर्ति आज विभागीय नियम के अनुसार लाइन एवं विद्युत पोल से अधिकतम तीस मीटर दूरी तक ही केबल खींचकर संयोजन दिया जा सकता है। जबकि इसको नजरअंदाज करते हुए सौ डेढ़ सौ मीटर तक की केबलें खींच दी गई हैं। जो बिना सपोर्ट के झूलने लगती हैं। बारिश के दौरान बढ़ जाती है हादसों की आशंका बरसात के मौसम में झूलते तारों और जर्जर विद्युत पोल से हादसों का खतरा बढ़ जाता है।जिले भर में पानी में करंट फैल जाने से पहले भी कई बार लोग हादसों के शिकार हो चुके हैं।