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रामपुरा तहसील के शासकीय विभाग जीने को मजबूर हैं उधार की जिंदगी? क्षेत्रवासियों की परेशानियो निराकरणो

(ब्यूरो रिपोर्ट-अजीमुल्ला खान) रामपुरा/नीमच(मप्र):- रामपुरा जिला नीमच मप्र को एक ऐतिहासिक नगरी कहा जाता है और कहा यह भी जाता हैं की रामपुरा की राजनीती की आवाज संसद भवन में गूंजती है और कहे भी क्यों नही क्योंकि इस क्षेत्र की माटी की गोद में खेलें कई लाल आजादी से लेकर वर्तमान दौर में एक ऊंचे स्तर पर देश की राजनीती सहित शासकीय विभागों में समय समय पर अपना सहयोग सेवाएं देते रहें हैं बाकी यह बात भी विचारणीय है की इन लालो ने अपनी जन्मभूमि क्षेत्र के लिए कितना कुछ किया हो? एक तरफ तो क्षेत्रवासियों को यह गर्व होता हैं की रामपुरा के लोग दुनिया के कोने कोने में मिल जायेंगे लेकिन वहीं अगर इस नगर क्षेत्र के मूलभूत नजरिए की बात करें तो आज की तारीख में रामपुरा नगर के मुख्य शासकीय विभाग ही उधार की जिंदगी जीने को मजबूर हैं नगर परिषद रामपुरा की ही अगर बात करें तो विगत लगभग 05 वर्षो को देखा जाए तो मुख्य अधिकारी में श्री यादव के कुछ समय के कार्यकाल को अपवाद तौर पर माने तो विगत 05 वर्षो से मुख्य अधिकारी का पद एक प्रभार के रूप में औपचारिकता निभाए जा रहा हैं विगत वर्षो में एक स्थाई मुख्य नगर पालिका अधिकारी नही मिल पाया कुर्सी को? वर्तमान मुख्य अधिकारी भी प्रभारी के रूप में पदस्थ हैं जिन्हे नजदीकी परिषद कुकडेश्वर का पदभार भी संभालना होता हैं क्या यही कारण हैं की नव निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को नियुक्त हुए लगभग 06 माह बीत चुके है किंतु नगरीय क्षेत्र में नया विकास कार्य तो दूर की बात रहवासियों की मूलभूत सुविधा व्यवस्था भी चरमराती दिखाई दे रही मुख्य अधिकारी की लगाम नहीं होने से कर्मचारी ही राजा और कर्मचारी ही प्रजा, इसी बीच आमजन अपनी परेशानी लेकर कार्यालय पहुंचते है तो उसकी परेशानी का निराकरण मौजूदा कर्मचारियों के बनाए गए मनमाने टी एंड सी नियमो पर निर्भर करते हैं वही इसी कड़ी में तहसील कार्यालय रामपुरा के भी हालात कम नही हैं, कहने को तहसील कार्यालय हैं किंतु गत एक माह में 2 तहसीलदारों की पदस्थापना होने बावजूद भी आज की तारीख में क्षेत्रवासियों को अन्य प्रभारी नायब तहसीलदार का इंतजार करना पड़ रहा वहा भी तहसीलदार केबिन पर अक्सर क्षेत्रवासियों को कुंदी लगी मिलती हैं केवल चौकीदार और कोटवार ही तहसील कार्यालय के सर्वेसर्वा बने हुए हैं जिस कार्यालय में जिम्मेदार अधिकारी ना हो वहा की स्थिति क्या होगी यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा? कहने को तो नगर परिषद एवं तहसील कार्यालय के मिला कर कुल स्थाई अस्थाई कर्मचारियों की संख्या लगभग 150-200 से ऊपर होगी किंतु रामपुरा के पुराने उप कोषालय में आग कब और कैसे लग जाती हैं और सारा पुराना रिकार्ड जल कर राख का ढेर हो जाता हैं इसकी जानकारी किसी जिम्मेदार के पास नही होती यह भी एक जांच का विषय हैं? इन्ही शासकीय विभागों में एक कड़ी अमुक चौपायो के पशु चिकित्सालय की भी हैं रामपुरा तहसील क्षेत्र में करीबन 40 से 50 हज़ार गौवंश मवेशी एवम अन्य चौपाए होंगे किन्तु चिकित्सा के नाम पर केवल प्रभारी चिकित्सक वो भी सप्ताह में एक दिन गुरुवार को उपलब्ध होते वो भी मात्र 2 घंटे के लिए. आमजनता को अपने पशुओं के लिए कोई आपातकालीन व्यवस्था विकल्प खोजना पड़ता हैं वही रामपुरा नगर की सुरक्षा दिवाल संबंधित जल संसाधन विभाग की और भी नगर वासियों की आशा की नज़रे टिकी रहती हैं क्योंकि बारिश का मौसम ज्यादा दूर नहीं हैं, आमजन क्षेत्रवासियों की जिम्मेदार शासन प्रशासन से इस ओर ध्यान देने की दरकार हैं.

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