रिपोर्टर प्रकाश सोलंकी पीपलवास चित्तौड़गढ़। सुबह की शुरुआत घर आंगन में पक्षियों की हलचल और चहचहाहट मन को प्रफुल्लित कर देता है। लेकिन यह तब होगा जब पक्षियों के प्रति लोगों में प्रेम दया भाव होगा। कुछ ऐसा ही नजारा मधुवन के अंबे विहार कॉलोनी में सतीश बैरागी के घर में देखने को मिलता है। उन्होंने पक्षियों संरक्षण देते हुए अपने घर में कई पक्षियों के लिए आशियाना बना रखा है। यही नहीं उन्होंने पक्षियों के लिए प्लाइवुड से बर्ड हाउस बनाकर अपने घर में लगा रखे हैं। इनमें रहने वाले पक्षी भी पूरे परिवार से घुल-मिल गए हैं। परिवार का कोई भी सदस्य जब श्री टी या सीटी बजाता है तो ये श्री उसके पास आ जाने भी चुटकी या सीटी बजाता है तो ये पक्षी उनके पास आ जाते हैं। उनके इसी प्रेम के चलते रोज 400 से अधिक पक्षी यहां दाना चुगने आते हैं। पेशे से फोटोग्राफर सतीश बैरागी ने बताया कि 2018 में मकान बनाया। उस समय रुटीन में पक्षियों को दाना डालकर अपने काम पर चले जाते। इस बीच जब लॉकडाउन लगा तो घर में कैद हो गए। ऐसे समय में काम नहीं होने के चलते वे पक्षियों को दाना डालकर समय बिताते थे। लगातार ऐसा करते हुए पक्षी भी पास में आने लगे और हाथों से दाना खाने लगे। धीरे-धीरे पक्षियों की संख्या बढ़ती गई। अब तो पक्षियों के साथ गिलहरी, नेवला तक भी घर में आने लगे हैं। इस बीच बारिश के दिनों में पक्षियों को भीगता और ठिठुरते देखा तो मन में बर्ड हाउस बनवाने की ठान ली। वर्तमान में 35 बर्ड हाऊस में पक्षी अपने परिवार के साथ रहते हैं। अब तो पक्षी भी हाथ पर बैठकर दाना चुगते हैं। जंगल कोतवाल को नमकीन तो नेवले को पसंद है बिस्किट...सतीश ने बताया कि घर पर गौरैया, तोते, मैना, जंगल कोतवाल, तीतर, उल्लू, टिटहरी, नेवला, गिलहरी सहित अलग-अलग प्रकार के पक्षी और जीव आते हैं। इन्हें बाजरा, चावल, दलिया, नमकीन खिलाया जाता है। इनके लिए बाजार रेडीमेड फूड भी मंगवाते हैं। इसके अलावा रोटी को भी मसल कर देने से यह बहुत पसंद करते हैं। बैरागी ने बताया कि जंगल कोतवाल को नमकीन बहुत पसंद है तो नेवले को बिस्किट भाता है। सतीश के अलावा उनकी मां सुमित्रा देवी, पत्नी तारा वैष्णव और बेटा तनय व आदित्य भी इनकी देखभाल करते हैं।