नीमच।विश्व प्रथ्वी दिवस एक दिवसीय मनाना तभी सार्थक होगा जब हम इस धरा पर हरे भरे लहलहाते फलदार छायादार, औषधि युक्त पोंधे रोपित कर धरती मां का श्रंगार कर निरन्तर संवारने में जुटे रहे, ताकि इसका फल फूल हमारी आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ स्वस्थ वातावरण के साथ प्राणी जगत को जीवन जीने के लिए शुद्ध वायु आक्सिजन मिल पाएं, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो विकास की अंधाधुंध में चहुं ओर लाखों हरे भरे लहलहाते भारी भरकम वृक्षों को निर्दयतापूर्वक काटकर मानव अपना स्वार्थ सिद्ध करने में जुटे हुए हैं, प्रकृति ने इस धरा पर जल जंगल,हरे भरे वृक्ष,लहलहाते हुए असंख्य आकर्षण रंग बिरंगे फूलों कि फुलवारी, असंख्य किस्मों के औषधीय गुण के वृक्ष,कई प्रजातियों के छोटे बड़े जीव जंतु,पक्षु, पक्षियों ,नहर, नदी नाले, पहाड़ झरनों से, इस वसुंधरा का श्रंगार कर इस धरा पर प्राणी जगत को जीवन जीने के लिए दिया है, बदले में हम इसे संवारने के बजाय उजाड़ने में जुटे हुए हैं जो आने वाली पीढ़ी के लिए ख़तरनाक होगा, विश्व प्रथ्वी दिवस वर्ष भर इस धरा को संवारकर आमजन को पर्यावरण संरक्षण,जल संवर्धन, जंगल बचाओ,पशु पक्षियों, जीव जंतुओं की सुरक्षा हेतु जागरूक करने का अवसर है, यह तभी सार्थक होगा जब हम सब जल जंगल और जमीन को बचाने में कामयाब होंगे, पर्यावरण संरक्षण जीवन के लिए महति आवश्यकता है वृक्ष हमारे जीवन मित्र हैं , बचपन में मुझे मेरी माता ने पेड़ पौधे जीव जंतु पक्षु पक्षियों के बारे में प्रेरणा मिली तो प्रतिदिन पक्षियों को घर की मेढ़, मंदिर की छत पर दाना डालने एवं सकोरे में पानी भरकर रखना शुरू किया धीरे धीरे पहचान बनी अब छत पर कबुतर चिड़िया, मोर,गौरया मुझे छत पर देख उड़ चली आ जाती है,आज के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो असंख्य पेड़ पौधे एवं पक्षियों,जीव जंतुओं की प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है यदि यही हाल रहा तो आने वाले समय में इस धरा पर प्राणी जगत को जीवन जीने के लिए तड़पना होगा, वर्ष 1982 से लेकर सेवा काल से सेवा निवृत्त होकर अब तक सड़क मार्ग के दोनों किनारे कई प्रजातियों के विशेष कर बबुंल,शीशम,नीम, के बीजों की मिट्टी गोबर की सीड बाल बनाकर 100 किलोमीटर से अधिक रोड किनारे डाल कर 10 हजार से अधिक पेड़ बनाने का काम किया, सेवा निवृत्त होकर पर्यावरण मित्र के रूप में संस्था के माध्यम से शहर से गांव तक शासकीय, अशासकीय विद्यालयों, मुक्ति धाम,बाग बगीचों, ग्रीन बेल्ट परिसरो, सड़क किनारो पर अब तक 50 हजार से अधिक पोंधे रोपित कर पेड़ बनाने में कामयाब हुए,हम सभी प्रथ्वी दिवस पर आमजन को जागरूक कर हरे भरे पेड़ पौधों से मातृभूमि का श्रंगार करके सहयोगी बन सकते हैं, पेड़ पौधे ही प्रकृति में आक्सीजन की प्राकृतिक फेक्ट्री है,कोरोनाकाल में आक्सीजन की किमत आमजन को समझ आ गई है, जीवन भर हम सभी निशुल्क आक्सीजन लेकर इस धरा के कर्जदार होने से बेहतर है जीवन में 5 पोंधे रोपित कर पेड़ बनाकर इस धरा को उजड़ने से बचाएं, जलवायु परिवर्तन के दोर से विश्व गुजर रहा है विकास के नाम पर विनाश के रास्ते पर चल पड़े हैं, जलवायु परिवर्तन का घोर संकट निकट भविष्य में हम सभी को भोगना पड़ेगा, निश्चित रूप से हाइड्रोस्फीयर,लिथोस्फीयर,एटमास्फियर प्रभावित हो रहे हैं, जिसके कारण समस्त जीव जंतुओं, पेड़ पौधे और प्राणी जगत पर भारी संकट का असर होगा, पर्यावरण की कमी से खतरनाक बिमारियों, चर्मरोग, केंसर, विभिन्न प्रकार के संक्रमण, वायरस, सांस आदि की बिमारियों का खतरा मंडरा रहा है, नदी नाले, कुएं बावड़ी,सुखना, जंगलों का उजड़ना, प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित दोहन जल वायु परिवर्तन आने वाली पीढ़ी के लिए ख़तरनाक संकेत है, पर्यावरण संरक्षण,जल संवर्धन, जंगल बचाओ हेतु हम सभी को एक जन आंदोलन के रूप में लेकर इस धरा को उजाड़ने की बजाय संवरना होगा, विश्व प्रथ्वी दिवस हम सभी के लिए एक जागरूकता का संदेश है जिस पर हम सभी को अधिक से अधिक पोंधे रोपित कर आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ वातावरण हेतु संकल्पित होकर इस धरा को संवारकर कर्ज मुक्त बनना होगा, आओ मिलकर पेड़ लगाए इस धरा को हरा भरा बनाएं ।