भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि लाड़लियां आइआइटी, आइआइएम, विधि, मेडिकल, आइआइएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश लेती हैं तो उनकी फीस सरकार भरेगी। वह मंगलवार को अपने आवास पर आयोजित "लाड़ली लक्ष्मी" उत्सव को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान बेटियों की माताएं और बहनें मौजूद थीं। सरकार की तरफ प्रतिवर्ष दो मई को लाड़ली लक्ष्मी दिवस मनाया जाता है। 2007 में शुरू हुई लाड़ली लक्ष्मी योजना में अब तक 44 लाख लाड़लियां लखपति बन चुकी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना से लोगों की बेटियों के प्रति सोच बदली है। इसी कारण पहले एक हजार बच्चों पर 912 लाड़लियां पैदा हो रही थीं, अब यह आंकड़ा 956 हो गया है। इंस्टीट्यूट आफ फाइनेंसियल मैनेजमेंट एवं रिसर्च (आइएफएमआर) चेन्नई के सर्वे में भी यह बात सामने आई है। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान ही इस रिपोर्ट का विमोचन किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने बताया कि लाड़ली लक्ष्मी बेटियों के लिए प्रदेश में नौ से 15 मई की अवधि में शहर और पंचायतों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस दौरान खेल प्रतियोगिताएं, लाड़ली लक्ष्मी फ्रेंडली पंचायतों को पुरस्कार, वित्तीय व डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम, स्वास्थ्य परीक्षण, नृत्य एवं गीत प्रतियोगिताएं, शासकीय कार्यालयों और पर्यटन क्षेत्रों का भ्रमण कराया जाएगा। कुछ बेटियां बाघा वार्डर देखने के लिए भी भेजी जाएंगी। इस दौरान बेटियों ने गीत, नृत्य प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन भी लाड़लियों ने ही किया। इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, विधायक कृष्णा गौर, महापौर मालती राय, भोपाल की जिला पंचायत अध्यक्ष रामकुंवर मौजूद थीं। मेरी मां भी बहन से ज्यादा मुझे प्यार करती थी, भेदभाव देख बनाई "लाड़ली लक्ष्मी" लाड़ली लक्ष्मी उत्सव में मुख्यमंत्री कभी खुश तो कभी भावुक दिखे। उन्होंने कहा, "मेरी मां भी मुझे ज्यादा और बहन को कम प्यार करती थी।" यह भेदभाव देखा नहीं गया तो मुख्यमंत्री बनने पर 2007 में "लाड़ली लक्ष्मी" योजना बनाई। मैंने तय किया कि प्रदेश की धरती पर लाड़ली लखपति ही पैदा होंगी। *बेटियों को पढ़ाना चाहते हैं 98 प्रतिशत लोग* इंस्टीट्यूट आफ फाइनेंसियल मैनेजमेंट एवं रिसर्च(आइएफएमआर) ने यूनिसेफ और महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ मिलकर लाड़ली लक्ष्मी योजना के प्रभाव पर सर्वे किया है। इसमें सामने आया है कि योजना आने के बाद 98 प्रतिशत लोग बेटियों को पढ़ाना चाहते हैं। 89 प्रतिशत ने कहा कि बेटा-बेटी में वह कोई भेद नहीं करते। 65 प्रतिशत माताओं ने माना की उनकी बेटियों की शादी बिना दहेज के हो सकती है।