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विधायक साहब जापान नहीं जगपुरा आकर देखो, बच्चे देवरे में पढ़ने को मजबूर, ग्रामीण बोले-चुनाव में ही आते है सखलेचा पटेल ने विकास के दावों को बताया खोखला

सिंगोली। 20 साल से जापान के सपने दिखा रहे जावद विधानसभा क्षेत्र के प्रतिनिधि ओम प्रकाश सखलेचा के विकास के दावों की लगातार पोल खुल रही है। खासकर सिंगोली इलाके के ग्रामीण अंचल की स्थिति बद से बदतर मानी जा सकती है। शिक्षा को मूलभूत अधिकार माना गया है लेकिन आदिवासी बच्चों की शिक्षा उनके लिए कोई मायने नहीं रखती। कांकरिया तलाई ग्राम पंचायत में आने वाले जगपुर के स्कूल की तस्वीर सखलेचा की इस सोच को इंगित करती है जहां पिछले तीन साल से गांव के बच्चे देवनारायण के देवरे में पढ़ने को मजबूर है। गांव के बगदीराम भील ने बताया कि करीब सौ लोगों की आबादी वाले इस गांव में अधिकांश आदिवासी लोग निवास करते हैं। करीब 20 साल पहले गांव में प्राथमिक स्कूल खुली थी। गांव के बच्चे स्कूल भी जा रहे थे, लेकिन कुछ सालों बाद ही स्कूल भवन के निर्माण की गुणवत्ता सामने आ गईl भवन की छत से पानी टपकने लगा और देखरेख के अभाव में धीरे-धीरे छत पूरी तरह से जर्जर हो गई l शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के बाद निर्माण विभाग द्वारा डैमेज घोषित कर दिया गया l नतीजतन, स्कूल के बच्चे बिना छत के हो गएl अब तक बच्चे इधर से उधर पढ़ाई को मजबूर थे जिन्हें बाद में देवनारायण के देवरे पर शिफ्ट किया गया l पिछले 3 साल से करीब 35 से 40 बच्चे देवरे के खुले प्रांगण में पढ़ने को मजबूर है। सर्दी के दौरान बच्चे ठिठुरते रहते हैं तो बारिश की स्थिति में छुट्टी के अलावा अध्यापकों के पास कोई विकल्प नहीं बचता। पन्नालाल भील के अनुसार चूंकि भवन नही है, इस कारण अभिभावक भी उन्हें स्कूल नहीं भेजते। कुल मिलाकर स्कूल एक प्रकार से फार्मल्टीज में ही चल रहा है। हमारे विधायक साहब भले ही मंत्री हो लेकिन हमारे यहां तो केवल वोट लेने ही आते हैं। उसके बाद उनके कभी दर्शन नहीं होते। फिर भी स्कूल की दयनीय हालत को देखते हुए विधायक से संपर्क किया गया। उन्होंने नया भवन बनाने का आश्वासन दिया लेकिन बच्चों को स्कूल भवन नसीब नहीं हो पाया। कांग्रेस नेता समंदर पटेल भी स्कूल की हालत देकर भौचके रह गए। स्कूल भवन बाडे में तब्दील हो चुका था तो अलग-अलग क्लास के बच्चे एक ही स्थान पर एक साथ बैठकर पढ़ने को मजबूर थे। पटेल ने आरोप लगाया कि जापान का सपना दिखाने वाले विधायक सखलेचा अपने विधानसभा क्षेत्र के विकास को ही भूल गए। यह कोई एक गांव नहीं है बल्कि आदिवासी अंचल के अधिकांश गांवो में शिक्षा, सड़क और चिकित्सा सुविधाओं की ओर सखलेचा ने कभी ध्यान नहीं दिया और आज भी उनकी स्थिति जस की तस है जबकि ट्राइबल बेल्ट के लिए केंद्र सरकार से सीधा फंड आता है।

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