नीमच: मतगणना शुरू होने में अभी दो दिवस की देरी है। अभी प्रत्याशियों के भाग्य ईवीएम में बंद है। एक्जिट पोल आने शुरू हो गए हैं, इसके साथ ही प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ना शुरु हो गई है। माना जा रहा है कि इस बार के चुनाव में पार्टी पर प्रत्याशियों की छवि का प्रभाव भी नजर आएगा। यही कारण है कि हार-जीत के अनुमान गड़बड़ा रहे हैं। प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में बंद है। अब हर गली, चौक-चौराहों, टी स्टॉल से लेकर परचून की दुकान, खेत-खलिहान आदि स्थानों पर लोग भाजपा-कांग्रेस की कम, उम्मीदवारों की छवि पर चर्चा कर रहे हैं। कौन उम्मीदवार सहज रूप से उपलब्ध रहता है, कौन कार्यकर्ताओं को तवज्जो नहीं देता है। किसकी सरकार में पकड़ अच्छी रहेगी या रही। किसके चुनाव जीतने पर द्वेषपूर्ण काम हो सकते हैं। किसके साथ सभ्य लोगों की तो किसके पास गुंडों की फौज रहती है, ऐसी बातें भी बन चर्चाओं में शामिल हैं। इंतजार है तो सभी को 3 दिसंबर की सुबह का। भाजपा में कार्यकर्ता नाराज, कांग्रेस में खेमेबाजी: चुनाव में इस बार देखा गया है कि भाजपा में कार्यकर्ता नाराज रहे। हर बूथ पर जहां पार्टी के 10-20 कार्यकर्ता सक्रिय नजर आते थे, उनके स्थान पर 5-5 कार्यकर्ताओं का भी अभाव देखा गया। पाया गया है कि कार्यकर्ता पार्टी के अंडर 40 की उम्र के पदाधिकारियों की उपेक्षा और व्यवहार से खफा थे। उधर, कांग्रेस के कार्यकर्ता अभी नहीं तो कभी नहीं की तर्ज पर प्रयास करते देखे गए। कार्यकर्ताओं के हर संभव के बावजूद कांग्रेस में खेमेबाजी हावी रही। देखना है कि आने वाले 60 घंटों के बाद इनके प्रयास क्या रंग लाते हैं। भाजपा को लाडली, कांग्रेस को एंटी इनकंबेंसी पर भरोसा:इस बार के विधानसभा चुनाव में नीमच जिले में 83 प्रतिशत से अधिक मतदान रहा है। सर्वाधिक मतदान जावद क्षेत्र में 86 प्रतिशत से अधिक रहा। जो मतदाता की जागरूकता को प्रमाणित करता है। इस बार के चुनाव में खास तौर पर यह भी देखा गया है कि चुनाव के दौरान मतदाता पूरी तरह से खामोश रहा है। सत्ताधारी दल भाजपा को लाडली बहना के भरोसे फिर से सत्ता में वापसी की उम्मीद है, जबकि मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को एंटी इंकंबैंसी के अलावा नौकरशाहों की एकतरफा वोटिंग के भरोसे सत्ता में वापसी का सपना है।