मध्य प्रदेश में लोक शिक्षा विभाग की तरफ से एक पत्र जारी किया गया है।जिसके बाद से मध्य प्रदेश के हजारों अतिथि शिक्षकों की चिंता बढ़ गई है। जारी किए गए पत्र में 30 फीसदी से कम रिजल्ट लाने वाले अतिथि शिक्षकों को नौकरी पर न रखे जाने की बात कही गई है। क्या है पूरा मामला ? हाल ही में मध्य प्रदेश बोर्ड यानि कि एमपी बोर्ड के रिजल्ट जारी किए गए थे। इस रिजल्ट में पास करने वाले बच्चों का जो प्रतिशत था वो इस बार ज्यादा बेहतर नहीं रहा है। ये इस बार ये आंकड़ा 70 फीसदी का भी पार नहीं कर पाया है। आपको बता दें जो 10वी और 12वीं के छात्रों का औसत पासिंग प्रतिशत रहा वो 60 से 65 प्रतिशत के बीच रहा है। इसके बाद प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। आखिर मध्य प्रदेश के स्कूल का स्तर इतना गिरा हुआ है? जो सिर्फ 60 से 65 फीसदी बच्चे ही बोर्ड परीक्षा पास कर पा रहे हैं। परीक्षा परिणाम आने के बाद हुई थी जांच परीक्षा परिणाम के आंकड़े सामने आने के बाद जांच की गई और अब इस पूरे खराब रिजल्ट का ठीकरा अतिथि शिक्षकों पर फोड़ा जा रहा है। बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम बिगड़ने के बाद सरकार ने अधिकारियों से इसके पीछे का कारण पूछा था। जिसके बाद स्कूल प्रिंसिपल्स ने इसके पीछे का कारण अतिथि शिक्षकों को बताया है। शाासन ने अतिथि शिक्षकों को बाहर करने का आदेश जारी कर दिया है। लोक शिक्षण संचनालय मध्य प्रदेश के एक आदेश के हवाले से कहा गया है कि 30 प्रतिशत से कम परीक्षा परिणाम वाले अतिथि शिक्षकों को इस बार न रखने की बात कही गई है। आपको बता दें पिछले दिनों लोक शिक्षण संचनालय में पिछले दिनों एक बैठक का आयोजन किया गया था। इसी बैठक में अतिथि शिक्षकों को बाहर करने का फैसला लिया गया है। 15 हजार अतिथि शिक्षकों को किया जा सकता है बाहर मध्य प्रदेश में पिछले दिनों जब बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम सामने आए थे, तभी से ये सवाल उठने लगे थे कि आखिर मध्य प्रदेश शिक्षा इतनी खराब है। जो इस तरीके से गिरा हुआ रिजल्ट देखने को मिल रहा है। अब इस पूरे खराब रिजल्ट का ठीकरा अतिथि शिक्षकों के सिर पर फोड़ दिया गया है। माना जा रहा है, इससे प्रभावित होकर 30 फीसदी से कम अंक पाने वाले अतिथि शिक्षकों को जो कि करीब 15 हजार से अधिक हैं। जिनको नौकरी से बाहर किया जा सकता है। हालांकि इस पूरे मामले पर अतिथि शिक्षकों के संघ का क्या फैसला रहता है, ये देखना होगा लेकिन इस पत्र के जारी होने के बाद कई अतिथि शिक्षकों के माथे पर चिंता की लकीरें आ गईं हैं।