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देखिए बदहाल स्कूलो की पोल खोलती लाईव तस्वीरे, शिक्षा विभाग एवं सरकार के बड़े- बड़े दावो के बीच टाटा सौलर प्लांट द्वारा गोद लिए गांव में बिजली व पानी के बगैर कैसे चल रही है ग्रामीण बच्चो की पढ़ाई।

मध्यप्रदेश सरकार व शिक्षा विभाग स्कूलो के नए भवनों को लेकर विकास के बहुत बडे़-बडे़ दावे कर रहे हैं।लेकिन नीमच जिले के सिंगोली तहसील क्षेत्र की ग्राम पंचायत बधावा के गांवो में कई शासकीय प्राथमिक स्कूलो मे आज भी बच्चो को बिजली,पानी व बैठने की सुविधा तक भी नहीं मिल पा रही है।यहां के स्कूल भवनो की जर्जर व बदहाल स्थिति सरकार के दावे की पूरी तरह से पोल खोल रही हैं।पंचायत क्षेत्र के स्कूलों की हालत यह है।कि शासकीय प्राथमिक विद्यालय नयागांव स्कूल की छत से पानी टपक रहा है।पूरी छत लटक चुकी है।व सिमेंट का प्लास्टर,फर्श और दिवारो की हालत बहुत अधिक खराब व झर्झर अवस्था मे पहुंच चुके है।वहीं स्कूल की दिवारो मे बड़ी बड़ी दरारे व खड्डे पड़ गए है।और यहा पर जहां एक कमरे की छत का प्लास्टर गिर कर पूरी छत लटक चुकी है।तो दूसरे की भी गिरने को बैताब है।और कभी भी बड़ा जानलेवा हादसा घटित होने की आशंका से इंकार नही किया जा सकता।मजबूरन शिक्षकों को बच्चो को गांव में स्कूल से कुछ दूरी पर स्थित बाबा रामदेव के मंदिर एवं पंचायत द्वारा बनाए गए सामुदायिक भवन के बरामदे मे बिठाकर शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है।ग्रामीण भी अपने बच्चों की चिंता व भविष्य को संवारने की आस मे उन्हें पढाने के लिए मन मसोस कर भेज रहे हैं।ऐसा भी नहीं है।कि जिला स्कूल प्रशासन एवं राजनेताओं को इसकी कोई जानकारी नहीं है।विद्यालय में अध्यापन कार्य कर रहे शिक्षकों एवं ग्रामीणों के अनुसार जुलाई 2022, नवम्बर 2022 व जून 2023 के अलावा भी बीआरसी कार्यालय जावद व डिपीसी कार्यालय नीमच को कई बार लिखित एवं मौखिक अवगत कराने के बावजूद भी जिम्मेदारों ने अभी तक मामले की सुध नहीं ली है। जिसके कारण शिक्षक कभी बच्चो को मंदिर प्रांगण,तो कभी निजी प्रांगण मे,तो कभी खुले में ही पढाने पर मजबूर हो रहे हैं।मौसम खराब होने व बारिश आने पर जल्दी छुट्टी कर दी जाती है।जिसके कारण नौनिहाल अच्छी शिक्षा से वंचित रह रहे है।वही दूसरा मामला टाटा सौलर प्लांट द्वारा गोद लिए गए ग्राम लक्ष्मीपुरा पाड़लिया के शासकिय प्राथमिक विद्यालय का है। जहां पर दिया तले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।यहां की जमीन पर सौर ऊर्जा प्लांट बना होने एवं पूरे गांव को टाटा पावर कम्पनी के द्वारा गोद लेने के बाद भी यहां की पेयजल, एवं शिक्षा व्यवस्था बदहाल स्थिति मे हैं।यहां के शासकीय प्राथमिक विद्यालय के भवन की छत तो डल चुकी है।लेकिन काम अधूरा होने के कारण स्कूल भवन पर ताले लटके हुए है।शिक्षकों द्वारा अपने निजी खर्चे से किराए पर एक कमरा लेकर जहां पर बिजली,पानी की कोई व्यवस्था नही है।बच्चो को किसी तरह से शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है।इसी प्रकार से शासकिय प्राथमिक विद्यालय बिरमपूरा व देवपूरा मे स्कूल भवन की छत तो डल चुकी है।लेकिन जिम्मेदारों को कई बार अवगत कराने के बाद भी स्कूल में बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है। मजबूरन गर्मी में बच्चों को पढ़ाई करना पड़ रही है। सब कुछ जानकारी होने के बाद भी जिम्मेदारों ने अभी तक सुध नहीं ली है।स्कूल के शिक्षकों व ग्रामीणों द्वारा शिक्षा विभाग के संबंधित अधिकारियों को भी क‌ई बार अवगत कराया।बीआरसी कार्यालय जावद, संकुल केंद्र रतनगढ,जन शिक्षा केन्द्र डिकैन आदि सभी वरिष्ठ कार्यालय को लिखित व मौखिक रुप से अवगत कराने व शिक्षा विभाग के इंजीनियर द्वारा विभागीय सर्वे के बावजूद भी अधिकारियों द्वारा निरीक्षण करने तक ही सीमित रह गया। किसी ने भी इस गम्भीर समस्या के समाधान को लेकर अब तक कोई सुध नही ली है।कल से अगर कोई बड़ा हादसा होता है।तो इसके जिम्मेदार आखिर कौन होंगे...? वही इस मामले में ग्रामीणों सुमैरसिंह बधावा, जसवंत गुर्जर, शंकरलाल बंजारा, देविलाल भील, विकास बंजारा, भैरुलाल बंजारा, सत्यनारायण बंजारा,लाखन सिंह,पूरणमल बंजारा,रामसिंह बंजारा,मुकेश बंजारा आदि का कहना है।कि क्षेत्र के स्कूल भवन सालो पहले जर्जर हो चुके है।इसलिए खुले मे बच्चो को पढ़ाया जा रहा है। संबंधित अधिकारियो और राजनेताओं को भी क‌ई बार भवन की समस्या से लिखित एवं मौखिक रूप से अवगत करा चुके है।लेकिन अभी तक निरीक्षण एवं शिघ्र स्विकृत कर बनाने का आश्वासन ही दिया जा रहा है।

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