रिपोर्टर प्रकाश सोलंकी पीपलवास चित्तौड़गढ़। सुखपुरा गांव के युवा किसान निर्मल धाकड़ इन दिनों गांव में काफी चर्चित हैं। यही नहीं उनके द्वारा की जा रही उन्नत खेती को देखकर गांव के 50 किसानों ने भी खरबूजे की खेती शुरू कर दी है। इसके चलते अब गांव खरबूजे वाला गांव के नाम से भी पहचाना जा रहा है। जिले के भैसरोड़गढ़ क्षेत्र की ग्राम पंचायत धांगड़मऊ कला के सुखपुरा नयागांव निवासी निर्मल ने कॉमर्स विषय से स्नातक पास की। इसके बाद वे सीए की पढ़ाई करने लगे। इस बीच निर्मल का झुकाव खेती की ओर हो गया और उन्होंने सीए की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक से खरबूजे की खेती शुरू की। इससे पहले ही निर्मल ने सोलर पंप बनाकर बूंद बूंद सिंचाई से अफीम की बेहतर फसल ली है। वहीं मल्टी एग्रीकल्चर को अपनाते हुए पॉली हाउस से खीरे की भी बंपर फसल ली। उसकी सफलता की कहानी जब जिला मुख्यालय पर कृषि विभाग के अधिकारियों ने सुनी तो वह भी देखने पहुंचे। उद्यान विभाग के उपनिदेशक डॉ. शंकरलाल जाट, सहायक निदेशक डॉ. प्रकाशचंद्र खटीक, कृषि अधिकारी योगेंद्रसिंह राणावत, कृषि पर्यवेक्षक दुर्गेशकुमार रैगर एवं संता बलाई खेत पर पहुंचे। 29 साल के निर्मल धाकड़ अब एग्रोनॉमिस्ट की सलाह से खेती कर रहे हैं और दूसरों को प्रेरणा दे रहे हैं। उसके पास 13 बीघा जमीन है, जिसमें पांच बीघा में खरबूज व दो बीघा में पॉलीहाउस और छह बीघा में गेहूं, सब्जी और अन्य फसलें लगा रखी हैं। इसके अलावा अनुदान पर 4000 वर्ग मीटर में पॉलीहाउस लगवाया पॉली हाउस में खीरे की खेती कर एक साल में 10 लाख रुपए कमाए। खेती में नवाचार करते हुए खरबूजे की वैज्ञानिक तकनीकी से 10 से 12 किलो फल प्रति पौधा लेने का कीर्तिमान बनाया। निर्मल ने खरबूजा को दिसंबर में प्लास्टिक मल्चिंग एवं लो टनल तकनीकी के माध्यम से बूंद बूंद सिंचाई विधि का उपयोग करते हुए मुस्कान किस्म की बुवाई की। गत वर्ष खरबूजे को पैकिंग कर जयपुर आदि मंडियों में 50 रूपए प्रति किलो की दर से बेचा। इनसे इनको एक बीघा से एक लाख रुपए की आय हुई। निर्मल ने आसपास के 50 किसानों को भी इस तकनीकी से जोड़ कर उनकी आजीविका में बढ़ोतरी की है। ये भी जानिए : मिलता है अनुदान उद्यान विभाग के उपनिदेशक डॉ. शंकर लाल जाट ने बताया कि उद्यान विभाग द्वारा अधिकतम 4 हजार वर्ग मीटर पॉलीहाउस निर्माण पर लघु सीमांत, अजा, अजजा के कृषकों को 70 प्रतिशत एवं सामान्य श्रेणी के कृषकों को 50 प्रतिशत का अनुदान देय है। इसी प्रकार अधिकतम दो हेक्टेयर प्लास्टिक मल्चिंग एवं चार हजार वर्ग मीटर लो टनल की स्थापना पर लघु, सीमांत कृषकों को 75 प्रतिशत एवं सामान्य श्रेणी के कृषकों को 50 प्रतिशत का अनुदान देय है। लो टनल से कृषक लगभग 1 महीने पूर्व फसल प्राप्त कर सकता है।पिछले साल हुई थी शुरूआत र्मल ने कहा कि गत साल भी उसने तीन बीघा में खरबूजे लगाए थे, जिसे मार्केट में 13 लाख रुपए की दर में बेचा। उसमें से चार लाख का खर्चा एवं 9 लाख का शुद्ध मुनाफा हुआ। इस बार भी लो-टनल में लगभग चार बीघा में मुस्कान वैरायटी के खरबूजे की फसल लगाई है। इसी मुनाफे को देखकर गांव में 30 से 35 कृषकों ने भी खरबूजे की खेती के लिए प्रोत्साहित हुए हैं। इस बार भी लगभग 4 बीघा से 10 से 12 लाख रुपए तक का मुनाफा होने की संभावना है।