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धाकड़खेड़ी सरपंच व सचिव के द्वेषपूर्ण व्यवहार से नही दिया जा रहा शासन की योजनाओं का लाभ, पीड़ित ने परेश

नीमच। मंगलवार को जनसुनवाई में मनासा तहसील के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत धाकड़ खेड़ी जनपद पंचायत मनासा के सरपंच व सचिव का एक मामला सामने आया। जिसमे पीड़ित सिंह पिता शिव राम जी बंजारा निवासी धाकड़ खेड़ी नई आबादी क्षेत्र द्वारा जनसुनवाई में पहुंचकर कलेक्टर मयंक अग्रवाल के नाम ज्ञापन दिया जिसमें बताया कि पीड़ित विगत 10 से 11 वर्षों से ग्राम धाकड़ खेड़ी में अपने परिवार के साथ निवास कर रहा हूं मेरे साथ के व बाद में आए परिवारों को शासन की योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है लेकिन मेरे आपसी मनमुटाव के कारण मेरे साथ सरपंच व सचिव द्वारा दोगली नीति अपनाते हुए मुझे मूलभूत योजनाओं के लाभ से वंचित किया जा रहा है और मुझे जबरन प्रताड़ित किया जा रहा है जिससे मैं और मेरा परिवार दुखी है मुझे शासन की कई योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है सरपंच व सचिव द्वारा मेरे साथ द्वेष पूर्ण व्यवहार किया जा रहा है मुझे प्रधानमंत्री आवास का मकान स्वीकृत होने के बाद भी सरपंच द्वारा मुझे झूठे तरीके से यह कह कर अपात्र बता दिया कि तुम्हारे पास ट्रैक्टर व फोर व्हीलर है जबकि मेरे पास ना तो कोई ट्रैक्टर है और ना ही कोई फोर व्हीलर है इस कारण स्वीकृत हुई मकान को भी निरस्त कर दिया शौचालय हेतु सरपंच द्वारा कहा गया कि शौचालय बनवा दो उसकी राशि आपके खाते में आ जाएगी तो मैंने शौचालय बनवा दिया जिसकी राशि भी आज तक नहीं मिली मेरे द्वारा विगत 10 से 11 वर्षों से लगातार रहने के बाद भी हमारे मकान को आवासीय गांव में नहीं जोड़ा गया जिससे शासन द्वारा बनवाए जा रहे आवासीय पट्टो से भी वंचित हैं 3 साल पूर्व मेरी मां के निधन होने पर अंत्येष्टि हेतु दी जाने वाली राशि भी नहीं दी गई। पीड़ित ने आवेदन देकर निवेदन किया सरपंच व सचिव के इस दोगले व्यवहार के कारण मुझे ऐसी कई योजनाओं से वंचित रखा गया जिससे मुझ गरीब को काफी परेशानी उठाना पड़ रही है अतः इन सभी मूलभूत योजनाओं का लाभ पंचायत के माध्यम से मुझे दिलवाया जाए। --इनका कहना-- इंदरसिंह का शासकीय जमीन पर मकान हैं। आवासीय योजना में उसकी माता जी का नाम था जिनकी मृत्यु हो गई। और अभी इंदरसिंह का नाम पात्र में नही आया। इनकी माता जी का सम्बल योजना कार्ड नही था जिससे अंत्येष्टि राशि नही आई। इंदर सिंह के आधार कार्ड से पता चला कि चार पहिया वाहन फाइनेंस करवाया हुआ है। --नंदलाल कांगड़, सचिव

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