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संत कमलानंद गिरि ने अध्यात्म संस्कार शिक्षा में बटुकों व संतों को आत्मनिर्भर बनाया था, कृष्णानंद गिरी महाराज अरुण अशोक अरोड़ा ने चरण पादुका पूजन अभिषेक किया, हजारों की संख्या में उमड़े श्रद्धालु

नीमच । संत कमलानंद गिरी ने मालवा अंचल के विभिन्न आश्रमों में रहते हुए बटुकों व संतों को अध्यात्म संस्कार शिक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सेवा सहयोग अभियान वर्षों तक चलाया था ।जो आज मशीनी युग में आदर्श प्रेरणादायी कदम है। उन्होंने अरावली पर्वत की सुरम्य अंचल में स्थित महर्षि शांडिल्य मुनि की तपःस्थली श्री साण्डेश्वर महादेव मंदिर पर २३ वर्षों तक कठिन तपस्या की। तत्पष्चात् लेवडा स्थित आश्रम पर भक्ति की अलख जगाई। उनके अधूरे कार्यों को पूरा करना ही उनकी आत्मा के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कई स्थानों पर संस्कार केन्द्रों की आधारशिला रखी जो आज एक पवित्र उपवन की तरह हैं। इन संस्थानों की पचास से अधिक वर्ष यात्रा में कितने ही प्रतिभाशाली बटुक व संत संस्कारवान बने। यह बात शिव शक्ति आश्रम के महंत कृष्णानंद गिरी महाराज ने कही। वे बुधवार को शिवशक्ति आश्रम ग्राम लेवडा में ब्रम्हलीन कमलानंद गिरी महाराज की समाधि पर चतुर्थ पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद आयोजित कार्यक्रम में बोल रहीे थी ।उन्होंने कहा कि जब भारत को आंतरिक ज्ञान ध्यान अध्यात्म प्रकाश की जरूरत हुई है, संत परम्परा से कोई न कोई सूर्य उदय हुआ है। संसार में विद्वान देह आती है। प्रकृति और राष्ट्र का कल्याण कर पुनः पंचतत्व में विलीन होती है। ऐसी पवित्र आत्मा परमात्मा में विलीन होती है। महिलाओं को अध्यात्म के क्षेत्र में शिक्षित बनाने में इन केन्द्रों ने जो योगदान दिया है देश आज उसका ऋणी है। ब्रम्हलीन कमलानंदजी गिरी ने उस कठिन समय में स्त्री संस्कार की अलख जगाई। अनेक बालिकाओं और महिलाओं को आश्रम से जोड धर्म अध्यात्म संस्कार की मुख्यधारा से जोडा। शास्त्र अध्यात्म केवल मानव के लिए है, पशु के लिए नहीं, क्योंकि पशु में स्मृति नहीं रहती है। मानव शरीर पृथ्वी, आकाश, मिट्टी, जल, अग्नि पांच तत्वों से मिलकर बना है। सृष्टि में कमलानंद गिरी जैसे संत महान होते हैं, जिन्होंने सदैव समाज एवं राष्ट्र कल्याण के लिए अपना सर्वस्व जीवन समर्पित कर दिया। उन्हीं के बताए आदर्श ज्ञान मार्गदर्शन एवं पद चिन्हों पर चलकर सुशिष्या महंत कृष्णानंद गिरी शिवशक्ति आश्रम को आध्यात्मिक केन्द्र के रूप में विकसित कर रही हैं। वीतरागी १००८ संत कमलानंद गिरि महाराज आज से ठीक ३ वर्ष पूर्व २७ दिसंबर २०१९ शुक्रवार को समाधि में ब्रह्मलीन हो गए थे। उनकी समाधि को आकर्षक गुलाब के फूलों से श्रृंगार किया गया कार्यक्रम की श्रृंखला में इससे पूर्व समाजसेवी अरुण अशोक अरोरा नेपंच दिवसीय दुर्गा उपवास का कार्यक्रम भी दीपक प्रज्वलित कर आयोजित किया गया । सुबह १० बजे महादेव अभिषेक विविध मंत्रोचार के साथ आयोजित किया गया इस अवसर पर श्रद्धालु भक्तों द्वारा जय जय गुरुदेव ओम नमो नारायण की जय घोष भी लगाई गई।

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