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मंदसौर, गुराड़िया देदा खबर का हुआँ असर मोके से जैसीबी, डम्फर हुए रफू चक्कर

मंदसौर, गुराड़िया देदा खबर का हुआँ असर मोके से जैसीबी, डम्फर हुए रफू चक्कर हो सकती है F.I.R. शासकीय अध्यापक कारूलाल डोरिया (पाटीदार) पर जिन्होंने शासकीय मिट्टी को खरीद कर गोपाल कृष्ण पाटीदार की निजी भूमी पर रखवा रखा है क्यों की खेतो मे अभी फसल खड़ी है, ग्राम पंचायत गुराड़िया देदा के सरपंच रमेश चौहान और सचिव देवीलाल पाटीदार के खिलाफ भी शासन की मिट्टी बेचने अवैध रूप से पर्यावरण को हानी पहुंचाने, बीना अनुमति पंचवन मे पेड़ कटाई मिट्टी का दोहन और उसे बेचने के आरोपी है, भारत सरकार ने पर्यावरण सरक्षण के लिए अनुक्षेद 51A मे 42 वा संशोधन कर पर्यावरण सरक्षण को एक मूल कर्तव्य बनाया गया साथ ही 1929 वन सरक्षण और 1972 के पर्यावरण सरक्षण का उलंघन माना जा सकता है मामला मंदसौर जिले और तहसील के गाँव गुराड़िया देदा ग्राम पंचायत का है जहाँ के सचिव देवीलाल पाटीदार और सरपंच रमेश चौहान ने तानाशाह बनकर बीना ग्रामसभा की बैठक और पंचजनों की सहमति के बीना ही पंचवन भूमी जिसके पेड़ पौधे काटे नहीं जा सकते और खुदाई भी नहीं की जा सकती उसके उपरांत खुदाई कर सर्वे क्रमांक 1440/3 पर डबरी का हवाला देकर जैसीबी से खुदाई कर डम्फरो मिट्टी बेच दी अन्य डम्फरो को तो पकड़ा नहीं जा सका परन्तु निजी भूमी गोपाल कृष्ण पाटीदार के यहाँ जो खाली करवाई गई जो बीस से पच्चिस डम्फर बताये जाते है आरोपों अनुसार वो ग्राम के निवासी और शासकीय अध्यापक कारूलाल डोरिया (पाटीदार )द्वारा खरीदी गई जो की कानूनन अपराध की श्रेणी मे आता है, पूर्व जिला कलेक्टर गौतम सिंह द्वारा हमारी खबर को संज्ञान मे लेते हुए मंदसौर जिला चिकित्सालय मे पाँच पटवारी तहसीलदार सहित SDM को जाँच अधिकारी बनाया गया था, शासन की मिट्टी को खुलेआम खरीद फरोख्त वालो के खिलाफ क्या F.I.R. हो पायेगी? खनन विभाग भी घंनफ़ीट के मान से 25 से 50 हजार रूपये प्रति डंफर तक का जुर्माने का प्रावधान है, जो पेनल्टी कर सकता है पर अभीतक खनन विभाग के कानो पर जू नहीं रेंगी है?

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