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फरवरी से 30 फरवरी के बीच होगा शादियों का धूम धड़ाका

Neemuchhulchal (रिपोर्टर अनिल कुमार बैरागी)✍️✍️ फरवरी माह में अनलिमिटेड शादियां ही शादियां है बहुत सारे लोग लग्न मुहूर्त नहीं हो तो पार्टी की मन्नत की शादियां करने को आतुर है पर शादियां करना अनिवार्य समझ रहे हैं क्योंकि लॉकडाउन के समय से लोगों ने जो शादी रोक रखी थी वह इस वर्ष भरपूर होना दिख रही है क्योंकि बहुत सारी शादी लॉकडाउन में एक परिवार में शादी का आनंद नहीं ले पाए उनके परिवार में अगर कोई दूसरी शादी है बेटी की या बेटे की तो धूम धड़क से शादी के करने के मूड में लोग दिखाई दे रहे हैं यहां तक की बैंड बाजे हवाई सारी धर्मशालाएं सब करीब करीब बुक मिल रही है जिधर जाओ उधर भैया यहां यहां पर शादी है बुक हैजिसे ऐसा लग रहा है की बसंत पंचमी के पहले से जो दौर शुरू होगा वह आखातीज के पहले खत्म होगा बसंत पंचमी परशादी है वह बुक है ऐसा सुनने में आ रहा है की आखातीज पर मुहूर्त नहीं है जिसकी वजह से लोग बाग जैसी भी हो 3 वर्ष का पेंडिंग शादियों का प्रोग्राम निपटने में लगे हुए इससे बाजार चल निकले हैं कपड़े वाले सोनी और चांदी वाले किरण बैंड बाजा वाले करीब करीब सभी की आशाएं कमाने की और खर्च करने की पूरी होने वाली है हमने कई लोगों से अलग-अलग लोगों से राय जानी कुछ लोगों ने कहा भाई 3 साल हो गए देखते-देखते अब तो शादी निपटाना ही पड़ेगी कुछ ने कहा पहले जो लॉकडाउन में शादी हुई थी मजा नहीं आया इसलिए आप कुछ खर्चा करेंगे कुछ ने कहा भैया इससे बेहतर तो लॉकडाउन की शादी थी कम खर्चे में शादी भी हो जाती और प्रोग्राम भी हो जाता मेहमान जारी भी नहीं पड़ जाती अब तो महंगाई भी है और महंगाई का दूर होने से हम गरीब आदमी ज्यादा खर्चा नहीं उठा सकते नहीं हमारी आशाएं पूरी हो सकती है इसी के हाथ नए मुख्यमंत्री ने कन्यादान योजना बंद कर दी इससे भी जनता में बहुत गुस्सा देखने को मिला इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह था जिसने मुख्यमंत्री कन्यादान योजना को लागू करके कई गरीब परिवार को सहयोग सहायता की कुछ चित्तौड़ जिले के छोटी सादड़ी बेगू निंबाहेड़ा रावतभाटाइस इलाके लोगों ने कहा भाई पहले गांव-गांव लॉकडाउन में बंद थे रोड खुद रखा था लोगों ने अब आना-जाना शुरू हुआ अच्छा है समय पर शादी ब्याह हो जाए हाथ पीले हो जाए हम चिंता मुक्त हो जाए राजस्थान में भी अशोक गहलोत की सरकार अच्छी थी जिसने कन्यादान योजना में 51000 प्रति गरीब परिवार को दिए जाते थे आज आज का यह दौर देखा देखने को मिला

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