Neemuchhulchal ✍️✍️ (रिपोर्टर अनिल कुमार बैरागी) डिकेन नगर पालिका में कार सेवकों का हुआ सम्मान समारोह. डिकेन की जनता ने सनातन धर्म प्रेमियों एवं राष्ट्र को समर्पित राष्ट्र के लिए लाठी गोली खाएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे राम लला हम आते हैं मंदिर वहीं बनाते हैं इसी नारे को आत्मसात करते हुए 30 अक्टूबर 1990 को जब कार सेवा के लिए रोडवेज बस में बैठकर सभी लोग कोटा होकर अयोध्या जा रहे थे। इसी बीच बस को रोककर पुलिस वालों ने कार सेवकों को घेर लिया और उसी के साथ सभी को जंगल में उतारकर जेल में छोड़ दिया गया है डिकेन नगर एक ऐसा गांव है जो कई माहीनो में अपना स्थान रखता है किसी जमाने में यहां कुशा भाऊ ठाकरे प्रवास करते थे जब भी मंदसौर जिले में आते थे तो जिले के अंतिम छोर तक जाते थे डिकेन में जरूर रुकते थे उसे विषम परिस्थिति में नौजवान बूढ़े सभी साथी मिलकर अपने संकल्प को पूरा करने रामलाल की ओर बड़े थे सभी पुलिस वालों ने उन्हें घेर कर बस में से उतार लिया और जिन-जिन के पास कोटा जाने के लिए पूर्व से टिकट ले तो उन सभी को उठा लिया और बिना रियाद के उन्हें कोर्ट में चालान कर मंदसौर जेल पहुंचा दिया यह भी एक प्रकार का राष्ट्र सेवकों के ऊपर अत्याचार था और उसे अत्याचार का विरोध में जो लोग बंद हुए अपना घर परिवार छोड़कर रामलीला की ओर बड़े आज मनी रामलीला ने उन कर सेवकों का सम्मान करने की प्रेरणा जनता जनार्दन को दी है और उसी से अभी भूत होकर गांव-गांव शहर कर सेवाओं का सम्मान किया जा रहा है यह कार्सको के लिए नहीं भारत के लिए और राष्ट्र को समर्पित लोगों के लिए उन लाखों सैनिकों के लिए एक घर का विषय है कि वे लोग बॉर्डर पर हम लोगों के लिए लड़ते हैं और जो गांव में रहते हैं वह लोग उनकी आस्था के लिए समर्पण भाव से अपनी स्वार्थ सेवा से ना कोई धन की चाह ना कोई किसी भी प्रकार की इच्छा वह भी एक सैनिक की भांति एक कामगार की भर्ती रामलीला की शरण में रामकाज के लिए बढ़ चले थे रामलीला का ऐसा आशीर्वाद मिला उन लोगों को जिस शहर जी गांव में 2005 या 10000 लोग रहते थे उनमें से चुनिंदा लोगों को ही रामलीला ने बुलाया था और जो लोग जाने को अतुल थे और गए उनको रोक दिया गया तो रामलीला ने उनको एक ऐसा तोहफा दिया 30 साल बाद कि उनका नाम उसे वक्त के 10 आदमी लेते थे पर आज लाखों लोग ले रहे हैं कि आज एकादशी में गए थे कुछ लोग स्वर्गवासी हो गए कुछ लोग बूढ़े हो गए और कुछ लोग 30 साल बाद उनकी आत्मा को जो आनंद की अनुभूति हुई उसी को आधार मानते हुए उन्होंने कार्य सम्मान हमारा नहीं नगर की जनता का है और जनता का नहीं देश की जनता का है और देश की जनता का नहीं रामलीला का है इसी के साथ जय श्री राम करते हुए फिर प्रभु श्री राम को कोटि-कोटि नमन करते हुए भगवान श्री राम का कार्य ह्रदय से आभार बना एक कर सेवक अनिल कुमार बैरागी