Neemuchhulchal........ (महेंद्र सिंह राठौड़) सिंगोली:- क्षैत्र में दशा माता का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया शुभ मुहूर्त में सिंगोली सहित क्षेत्र के गांवों में महिलाएं पीपल के वृक्ष की पूजा अर्चना करती हुई नजर आई दशा माता कोई और नहीं बल्कि मां पार्वती का ही स्वरूप है। दशा माता का व्रत, घर-परिवार के बिगड़े ग्रहों की दशा और परिस्थितियों को अनुकूल बनाने के लिए किया जाता है। इस दिन महिलाएं पूजा और व्रत करके गले में एक खास सुती डोरा (पूजा का धागा) पहनती है, ताकि परिवार में सुख-समृद्धि, शांति, सौभाग्य और धन संपत्ति बनी रहे। महिलाएं इस दिन दशा माता और पीपल की पूजा कर सौभाग्य, ऐश्वर्य, सुख-शांति और अच्छी सेहत की कामना करती हैं। दशामाता व्रत के दिन मुख्यत: भगवान विष्णु के स्वरूप पीपल वृक्ष की पूजा की जाती है। इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं कच्चे सूत का 10 तार का डोरा बनाकर उसमें 10 गांठ लगाती हैं और पीपल वृक्ष की परिक्रमा करके उसकी पूजा करती है। पूजा करने के बाद वृक्ष के नीचे बैठकर नल दमयंती की कथा सुनती है। इसके बाद परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करते हुए सुती डोरा गले में बांधती है। घर आकर द्वार के दोनों और हल्दी कुमकुम के छापे लगाती है। इस दिन व्रत रखा जाता है और एक समय भोजन किया जाता है।इस दौरान गुरुवार की दोपहर नगर के एक पूजा स्थल पर मन्जूदेवी रजनाती,सन्तोष शर्मा,शान्तिबाई,लीलाबाई,कंकूबाई,पुष्पादेवी,कमलादेवी,रुक्मणीदेवी, दीपशिखा एवं कृष्णादेवी सहित कई महिलाएँ उपस्थित थी।