Neemuchhulchal........ (निम्बाहेड़ा )सहित क्षेत्र में दशा माता का पर्व परंपरा अनुसार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। महिलाएं परिवार की दिशा दशा सही रखने विपदाओं से दूर रखने और खुशहाली की कामना में व्रत रख पूजा कर रही हैं। महिलाओं ने शुभ मुहूर्त में अल्प सवेरे से ही दशा माता की पूजन का कार्य शुरू हुआ। महिलाएं दल बनाकर ढोल धमाकों के साथ गीत गाती नाचती हुई पूजा करने पहुंच रही है। महिलाओं ने परिवार की दिशा दशा सही रखने विपदाओं से दूर रखने और खुशहाली की कामना में व्रत रख कर पीपल की पूजा अर्चना कर कर दशा माता की कथा का श्रवण कर रही हैं। इसके साथ पिछले 10 दिनों से चल रहा कथा कथा श्रवण अनुष्ठान भी विधि विधान के साथ आज संपन्न होगा। यह था मुहूर्त दशामाता पूजन का मुहूर्त सुबह 6.29 से 8 बजे तक और सुबह 11:08 बजे से अपराह्न 3:48 बजे तक ही था शुभ मुहूर्त हैं। ये होते है नियम दशा माता का व्रत एक बार करने के बाद हर बार किया जाता है। इस व्रत को बीच में नहीं छोड़ सकते। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। अगर बहुत जरूरी हो तो उद्यापन करने के बाद इसे छोड़ सकते हैं। दशा माता की पूजा पीपल के पेड़ की छांव में करना शुभ माना जाता है। और पीपल के आस-पास पूजा का धागा भी बांधा जाता है। पीपल की पूजा से भगवान विष्णु की पूजा भी इस दिन हो जाती है। घर लाई पीपल की छाल परंपरा के अनुसार दशा माता की पूजा कर महिलाओं ने छोटी उंगली से पीपल के तने से सूखी छाल का टुकड़ा निकाला। इसे घर ले गई और आभूषण की तरह संजोकर रखा। पूजन करने आई महिलाओं ने बताया मान्यता है कि ऐसा करने से घर की दशा अच्छी बनी रहती है।