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जनकपुर मे अफीम फैक्ट्री के जमीन आवंटन के मामले ने एक बार फिर पकडा तूल, वन एवं राजस्व विभाग हुआ आमने-सामने !

एक बार फिर नीमच जिले के जावद क्षेत्र के जनकपुर मे बनने वाली अफीम फैक्ट्री जमीन आवंटन के सीमांकन को लेकर वन विभाग एवं राजस्व विभाग के मामले ने फिर तूल पकड़ लिया है।जो कम होने का नाम ही नही ले रहा है।नीमच जिला मुख्यालय पर वन कर्मचारी संघ के प्रदेश से आए पदाधिकारीयो सहित वन कर्मियों द्वारा पहले वन मंडल जिला मुख्यालय पर बैठक की। इसके बाद रैली के रूप में राजस्व विभाग के खिलाफ नारे लगाकर विरोध प्रदर्शन करते हुए बड़ी संख्या में कलेक्टर कार्यालय नीमच पर पहुंचे।जहां पर उन्होंने मध्यप्रदेश के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर महोदय को ज्ञापन सोंपा।जिसमे सभी वन कर्मचारी संघ ने ज्ञापन के माध्यम से मांग करते हुए चेतावनी भरा अल्टीमेटम देते हुए कहा कि 15 दिन के अंदर जावद रेंजर विपुल करोरिया को अगर शासन ने बहाल नहीं किया।तो प्रदेश स्तर पर उग्र आंदोलन किया जाएगा।ज्ञात रहे कि इस पूरे मामले मे वन परिक्षेत्र अधिकारी जावद ने दिनांक 30 मई 2024 को वन मंडलाधिकारी महोदय नीमच के लिखित निर्देशों की पालना में वन परिक्षेत्र जावद की बीट बसेड़ी भाटी के कक्ष क्रमांक 89 में सनलाइट एल्कोलाइट कंपनी द्वारा किए जा रहे आरक्षित वन भूमि पर अवैध निर्माण कार्य के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर जप्ति की कार्यवाही की गई थी।उल्लेखनीय है।कि राजस्व कर्मचारियों द्वारा दी गई दूषित व त्रुटि पूर्ण,भ्रामक जानकारी के आधार पर कलेक्टर महोदय नीमच द्वारा वन भूमि का अंतरण किया गया है।31जनवरी 2024 से सनलाइट एल्कोलाइट कंपनी द्वारा आरक्षित वन भूमि पर अवैध रूप से निर्माण कार्य किया जा रहा है। जिसका वन विभाग 31 जनवरी 2024 से ही निरंतर पुरजोर विरोध लिखित रूप से कर रहा है।दिनांक 30 मई 2024 को मेरे द्वारा मेरे शासकीय दायित्वों का निर्वहन करते हुए कंपनी के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की गई। कंपनी प्रबंधन की ओर से एसडीएम श्री राजेश शाह को फोन किया गया।और कंपनी प्रबंधन के मात्र एक फोन पर एसडीएम जैसे गरिमामय पद पर बैठे राज पत्रित अधिकारी ने पुलिस चौकी डीकेन में कंपनी का एजेंट बनकर स्वयं के नाम एवं शासकीय पद के साथ वन विभाग द्वारा की गई वैधानिक कार्यवाही को कंपनी के पक्ष में बताते हुए मेरे एवं मेरे विभागीय स्टाफ के विरुद्ध लूट का प्रकरण दर्ज करवाने का भी प्रयास किया गया।जो नियम विरुद्ध है।विवादित भूमि संवैधानिक रूप से पूर्णतःआरक्षित वन भूमि है।जिसे विधि विरुद्ध राजस्व विभाग अपनी बता रहा है।इस सम्बन्ध मे राजस्व विभाग द्वारा राजपत्र को दूषित एवं त्रुटिपूर्ण बताया जा रहा है।एक राज पत्रित अधिकारी द्वारा शासकीय दस्तावेज़ को गलत बताना शासन के नियम के विरुद्ध है। वन की रक्षा करना वनकर्मी का दायित्व है।इस सम्बंध में वन कर्मचारी संघ प्रदेश अध्यक्ष निर्मल कुमार तिवारी ने बताया कि वन मंडल जावद रेंज के रेंजर का निलंबन नियम विरुद्ध अगर 15 दिन में रेंजर को बहाल नहीं किया गया।तो प्रदेश स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।

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