सिंगोली:- भारतीय सनातन संस्कृति में पुरातन काल से ही गुरु को आदर-सम्मान देने की परंपरा रही है। गुरु को हमेशा से ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान पूज्य माना जाता है। 'आचार्य देवोभव:" का स्पष्ट अनुदेश भारत की पुनीत परंपरा है। हमारे धार्मिक ग्रंथों में गुरु को भी भगवान की तरह सम्मानजनक स्थान दिया गया है। गुरु के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को यह विशेष पर्व मनाया जाता है। गुरु अपने आपमें पूर्ण होते हैं। अत: पूर्णिमा को उनकी पूजा का विधान स्वाभाविक है। शनिवार 20/7/2024 को शासकिय कन्या हाई स्कूल में गुरु पुर्णिमा उत्सव नगर में चातुर्मास हेतु पुराना थाने के पास स्थित रामध्दारे में विराजमान अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही सम्प्रदाय के धर्म गुरु 108 संत श्री चौकसमुनि जी के सानिध्य में सम्पन्न हुआ जिसमें सर्व प्रथम माँ सरस्वती की पुष्प अर्पित कर पुजा अर्चना की गई व उपस्थित शिक्षको द्वारा धर्मगुरु श्री चौकसराम मुनि जी का बारी बारी चरण स्पर्श कर आर्शिवाद लिया एवं छात्राओं ध्दारा धर्मगुरु के साथ साथ सभी शिक्षक शिक्षिकाओं का सम्मान कर आर्शिवाद लिया संत श्री ने अपने मुखारविंद से सभी को सनातन धर्म,संस्कार,संस्कृति के महत्व को समझाकर गुरू उपदेश प्रदान किया, उपस्थित शिक्षकों ध्दारा भी क्रमानुसार गुरू की जीवन में क्या महत्ता है और गुरू एक शिष्य को कैसे संस्कारी एवं चरित्रवान बना राष्ट्र कि सेवा एवं रक्षा योग्य बना देश समाज व गुरु माता पिता के नाम को ऊंचा उठाने योग्य बनाता है पर प्रकाश डाला गया इस अवसर पर सेवानिवृत्त अध्यापक गोविन्द शर्मा, मुन्ना लाल गंगवाल,शंकर गिर रजनाती,लीलाधर स्वर्णकार,राजकुमार शर्मा,गिरधारी लाल वर्मा,कुॅंज बिहारी कारपेंटर एवं स्कुल स्टाफ सहित छात्राएँ उपस्थित थी।