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मां ज्वालाधाम शक्तिपीठ उचेहरा के दिव्य दरबार में भक्तो का उमड़ रहा श्रद्धा का सैलाब, आज मनाई जाएगी अष्टमी मां को चढ़ाया जाएगा अठवायन भोग रात्रि में होगी दिव्य महाआरती।

*मां ज्वाला की सच्ची भक्ति से मिलती है अलौकिक शक्ति*_*वीरेन्द्र सिंह उर्फ (लल्ला सेठ) सेवादार*....... उमरिया जिले के नौरोजाबाद थाना अंतर्गत मां ज्वालाधाम शक्तिपीठ उचेहरा मन्दिर में शारदेय नवरात्र के पावन पर्व पर भक्तो का उमड़ रहा जनसैलाब। नवरात्र पर्व पर मां के एक झलक दर्शन के लिए लालयित भक्तो की भारी भीड़ चल रही रही है भक्त मां के दर्शन कर अपनी अपनी मनोकामना को मां के समक्ष अंतरभाव से प्रगट करते हुए आंख में मातृ प्रेम अश्रु भाव से चलते जा रहे है। मां का दिव्य दरबार सूर्य की तरह तेज व चंद्रमा की तरह शीतल प्रतीत होता है भक्तो के दर्शन के बाद उनके मुख से यही वक्तव्य निकलता है कि मैं बहुत परेशानी व कष्ट से मां ज्वाला के दर्शन करने आया था लेकिन जैसे ही मां मंदिर परिसर में प्रवेश किया तो मानो मेरा दुख दर्द ऐसे गायब हो गया जैसा कि शर्कस में जादूगर कलाकारों को पलक झपकाते गायब कर देता है मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही शरीर से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है और दुख दर्द, चिंता दूर हो जाता है और मन में सुख शांति का भाव उत्पन्न हो जाता है बड़ा सुन्दर निराला दिव्य दरबार है मां का। मां के दिव्य ज्योति के अलौकिक दर्शन प्राप्त होता है जो कि अनवरत प्रज्वलित रहता है मां के दिव्य दरबार में कई आश्चर्यजनक तथ्य सामने आए हैं। प्रधान पुजारी बड़े महाराज जी द्वारा बताया गया कि जब शुरुआत के दिनों में मां का प्रादुर्भाव हुआ तब एक छोटा सा मंदिर और घनघोर जंगल था शेर रोजाना मां के दर्शन करने आता था। मंदिर की परिक्रमा करते हुए निकल जाता था।किसी को भी शेर द्वारा हानि नहीं पंहुचाई गई। मां के दरबार में रोजाना सुबह पूजा पाठ आरती ४:३० बजे व सायंकालीन संध्या आरती ०७:३० बजे होती है आध्यामिक मानव जीवन में आरती पूजा से नाकारात्मक विचार नष्ट होते हैं। मां के दिव्य दरबार में जितने भी हिंदू सनातानी पर्व है उसमे कन्या भोज, पूजन कराकर बृहद भंडारा प्रसाद वितरण किया जाता है मंदिर परिसर में यात्रियों के रुकने की पूरी व्यवस्था मंदिर प्रबंध समिति द्वारा की गई हैं और आश्रय लिए गए भक्तो को निशुल्क भोजन की व्यवस्था भी उपलब्ध कराई जाती है मां के दरबार से भारत वर्ष के हर प्रांतों से भक्त दर्शन के लिए आते हैं और दो चार दिन रहकर मां की सेवा करते हैं पूजा पाठ आरती में भाग लेते हैं अब तो विदेशी भी मां के दर्शन करने आते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण होने पर दूसरी बार और परिवार रिश्तेदार को भी साथ लेकर आते हैं मां के रसोई भंडार गृह में पूरा भंडार प्रसाद भक्तो द्वारा फोड़े गए नारियल के जटा से तैयार किया जाता है जिससे नारियल का जटा का ढेर नही लग पाता और सदपयोगी में आ जाता हूं महीने में पूर्णिमा के बाद पहले मगंलवार या शनीवार को मां का दिव्य दरबार लगाया जाता है यह दरबार रात्रि में पूजा आरती के बाद रामायण,भगत, कीर्तन, द्वारा मां को आह्वान किया जाता है और मां (देशी भाषा) बरुआ के रूप में प्रगट होती है और भक्त को टोकन द्वारा एक एक करके उनकी समस्याओं से अवगत होकर कष्ट निवारण हेतु सुझाव देती है पवित्र श्रावण मास में पुरे माह विद्वान ब्राह्मणों द्वारा रुद्राभिषेक किया जाता है और पूरे माह कन्या भोज पूजन आरती साहित भंडारा प्रसाद आयोजित किया जाता है। पवित्र माघ मास में राम संकीर्तन होता है जो कि अनवरत चौबीसों घंटे पूरा माह चलता रहता है । प्रधान पुजारी बड़े महाराज जी का कहना है कि मां मुझे जब दर्शन दी थी और बोली थी की बेटा मेरे ऊपर पूरा विश्वास करके सच्ची भक्ति भाव से पूजा पाठ करते रहना और जो तेरे मन विचार में सत्कर्म आता जाएगा उसे मैं पूरी करती जाऊंगा। और उसी दिन मैं अपनी पूरी घटना गांव वालो के समक्ष रखा गांव वाले भी आरती पूजा में आने लगे और मां की सेवा देने लगे जो भी मेरे को कमी लगती मैं मां को याद करके अपना विचार रखता कुछ दिन बाद वह कार्य होने लगता ऐसे धीरे धीरे आज आज मां के दरबार की शोभा बढ़ती गई भक्तो की मन्नते पूरी होती गई भक्त जुड़ते गए और आज लाखो की संख्या में भक्त दर्शन करने आ रहे हैं पुलिस प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ अपना काम कर रहा है हमारे सेवादार भी सेवा में लगे हुए हैं *सच्ची घटना* _ मां के दरबार में अपनी सेवा दे रहे वीरेन्द्र सिंह उर्फ (लल्ला सेठ) की अपनी जुबानी कहते हैं कि मैं दसों वर्ष से मां के दरबार से जुड़ा हुआ हू मै अपने घर और तंगी से बहुत परेशान था तो मैं किसी के सहारे से मां के दरबार आया और प्रधान पुजारी बड़े महाराज जी अपनी व्यथा बताई महराज जी मेरे दुख को देखकर मुझे सेवा के लिए तैयार हो गए और मैं मां की आरती पूजा में रहने लगा और बाग का काम देखने लगा कुछ साल बाद मेरे घर की परेशानी दूर होने लगी और बेटे द्वारा धान मील लगाया गया। आज मेरा परिवार सुखी जीवन व्यतीत कर रहा है और मैं आज भी मां की सेवा में डटा रहता हूं। ऐसे कई उदाहरण है।

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