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भारतीय अफीम किसान संर्घष समिति राजस्थान मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश

चित्तौड़गढ़। अफीम एकमात्र औषधिय उत्पाद है जिससे 400 प्रकार की जीवन रक्षक दवाइयां बनती है और इतना ही देश को विदेशी मुद्रा किसानों को रोजगार और मरीजों को सस्ती दवा सुलभ करने का एकमात्र कृषि उत्पाद है उसके बावजूद भी कुछ भ्रष्ट अधिकारी षडयंत्र पूर्वक भारत के विश्व प्रसिद्ध बढ़िया अफीम को घटिया करके निजी कंपनी बजाज हेल्थ केयर को सीपीएस की आड़ में किसान को कंपनी का गुलाम बनाने के षड्यंत्र के ख़िलाफ़ भारतीय अफीम किसान संघर्ष समिति राजस्थान मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश के किसानों और किसान पुत्रों की ओर से *भारत सरकार* को मुख्य रूप से 5 बिंदुओं पर महापंचायत आयोजित की जाएगी भारतीय अफीम किसान संघर्ष समिति राजस्थान मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश के संरक्षक मांगीलाल मेघवाल बिलोट ने बताया कि 1.1997-98 में काटे सभी अफीम पट्टे बहाली दूसरे शब्दों में अफीम खेती कर चुके सभी किसानों को अफीम खेती करने के लाइसेंस दिया जाए क्योंकि सरकार पोस्ता दाना ट्रर्की से आयात करती है जिससे हमारे देश व किसान दोनों का आर्थिक नुकसान होता है। 2. जिन खेतों में अफीम फसल खड़ी है सीपीएस की आड़ में बिना लुवाई चिराई के रबड़ की पॉलिसी जारी की है उन सभी किसानों को लुवाई चिराई के अफीम पट्टे दिया जाए और डोडा चुरा के स्पष्ट दिशा निर्देश या पॉलिसी निर्धारित नहीं होने के कारण किसान को एनडीपीएस एक्ट 8 / 29 में फंसा कर चौथ वसूली करता है 3. चिराई लुवाई से अफीम पैदा कर रहे उन सभी किसानों को अफीम का अंतरराष्ट्रीय मूल्य किसानों को दिया जाए और डोडा चूरा ₹2000 प्रति किलोग्राम का मूल्य किसान को दें उसके बाद सरकार डोडा चूरा की दवाई या अन्य उत्पाद सरकार वैज्ञानिक विधि से बनाने के लिए रिसर्च करें। 4. अफीम पॉलिसी का निर्धारण नेता और अधिकारीयों से नहीं किसान प्रतिनिधियों की सहभागिता से बनाई जाए। 5. अफीम एक औषधिय उत्पाद है जिसको निजी कंपनी के हाथ में जाने से हर हाल में रोका जाए अफीम से दवा निर्माण का प्रोसेसिंग कार्य के लिए सरकार सरकारी क्षेत्र में नई अफीम फैक्ट्री नीमच और चित्तौड़गढ़ में स्थापित करके किसान के बेटे को अफीम फैक्ट्री में रोजगार उपलब्ध करें। इन मुख्य मांगों के साथ 23 मार्च गांधी वाटिका नीमच में महापंचायत आयोजित की जाएगी साथ ही किसानों के साथ जुलूस के रूप में जिला कलेक्टर नीमच को ज्ञापन सौंपा जाएगा

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