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मेवाड़ के प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री शीतला माता (ऊंठाला माता) मंदिर में ध्वजा परिवर्तित की

रुण्डेड़ा 03 मई :- मेवाड़ के प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री शीतला माता (ऊंठाला माता) मंदिर में ध्वजा परिवर्तित की गई। श्री शीतला माता ट्रस्ट के उपाध्यक्ष महेश जोशी ने बताया कि शीतला माता मंदिर में क्षत्रिय वारी समाज द्वारा ध्वजा चढ़ाई गई थी, जो हर वर्ष वैशाख, शुक्ल पक्ष द्वादशी को परिवर्तित की जाती है।सोमवार को क्षत्रिय वारी समाज के दो बसों में भरकर समाजजन मंदिर में आए एवं उन्होंने रात्रि जागरण किया माताजी के गीतों की प्रस्तुति दी गई।मंगलवार को पंडित मांगीलाल आमेटा ने मंत्रोचार कर पूजा करके ध्वजा परिवर्तित कराई गई।इस अवसर पर वारी समाज के अध्यक्ष सांवरलाल वारी, उपाध्यक्ष कुंज बिहारी, कोषाध्यक्ष जुगल किशोर, दाऊलाल केसर सिंह,दिलीप भोपाजी मंदिर मंडल के पंडित दयालाल पुजारी, गोपाललाल पुजारी, पुरुषोत्तम लाल पुजारी, भूपेन्द्र पुजारी,कैलाश पुजारी, राकेश पुजारी, शिवनारायण पुजारी आदि उपस्थित थे। उसके बाद प्रसाद वितरण का कार्यक्रम हुआ। एवं क्षत्रिय वारी समाज के स्व भोज का आयोजन किया गया। यह है मान्यता श्री शीतला माता मंदिर के भूपेंद्र पुजारी ने बताया कि महाराणा के समय गंगाबाई वारी नाम की महिला थी जो आंखो से अंधी थी। उन्होंने महाराणा को जाकर अपनी व्यथा सुनाई। महाराणा ने हुकुम फरमाया कि तू शीतला माता मंदिर जाकर माताजी की ध्वजा चढ़ाना। इसके बाद से माताजी के आशीर्वाद और चमत्कार से गंगाबाई की नेत्र ज्योति पुनः लौट आई।हर वर्ष क्षत्रिय वारी समाज के लोग 1 दिन पूर्व आकर मां के दरबार में रात्रि जागरण करते हैं। पुरुष, महिलाएं और बच्चे सभी मां के दरबार में मत्था टेकते हैं, और वैशाख शुक्ल पक्ष द्वादशी को ध्वजा परिवर्तित करते हैं। और समाजजन सामूहिक रूप से स्व भोज का आयोजन करते है।

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