रिपोर्टर (महेंद्र सिंह राठौड़)✍️✍️ सिंगोली:- जीवन को गतिशील रखने में आशा व उत्साह का महत्वपूर्ण योगदान है। आगे पाने की उम्मीद ही जीवन में चलायमान रखती है। प्रत्येक दिन इसी के साथ प्रारंभ होता है और अन्त भी इसी के साथ होता है। बीच में उस आशाओ को पूर्ण करने का प्रयत्न होता है तथा उसे प्राप्त करने की उमंग रहती है।यह बात थडोद नगर मे विराजमान परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से शिक्षित व वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने सोमवार को दोपहर मे कहा कि प्रति वर्ष- प्रतिदिन का स्वागत एक आशा से करते है कि कल से आज अच्छा और सफलता भरा होगा। आशाओं को फलीभूत करने हेतु हमें उसके अनुरूप "वातावरण भी बनाना होगा। जब सूर्य की प्रथम किखा एक नन्हें पौधे को छूती है, तो वह आशा और प्रसन्नता से झूम उठता है। उसी "प्रकार मानव मन भी एक अच्छे प्रारंभ से आशा से भर जाता है और प्रसन्नता का अनुभव करता है। कहा भी जाता है कि प्रारंभ अच्छी के हुआ तो अन्त भी अच्छा ही होगा। इसीलिए भारतीय परम्परा में प्रत्येक कार्य के प्रारंभ में मंगलाचरण करने की परम्परा है। एक नई शुरुवात नई आशाओं, नए उत्साह के साथ। कल को भूलकर आगे बढ़ने की प्रारंभ, कुछ अलग करने का उत्साह कल को आज में नहीं, आज को आज में जीने का प्रारंभ । जीवन को गतिशील एवं प्रसन्न रखने हेतु आशाओं तथा उत्साह का महत्वपूर्ण योगदान होता है।वही महिलाओं व बालिकाओं ने नववर्ष के पावन अवसर पर भक्तिभाव के साथ मुनिश्री कि पुजन की इस अवसर पर सिंगोली समाज द्वारा मुनिश्री को सिंगोली के लिए विहार हेतु श्रीफल अर्पित किया इस दौरान चांदमल बगड़ा प्रकार ठोला सुरेश ताथेडिया निर्मल खटोड़ पारस ठोला अशोक ठग मधुबाला बागड़ियां मंजु ठग आशा ठोला पूजा ठोला आदी समाजजन उपस्थित थे