Neemuchhulchal ✍️ ( रिपोर्टर अनिल कुमार बैरागी) जीवन एक जंग है जीवन चलाने के लिए रोजगार मेहनत मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण करना क्या गरीब के ही बंटवारे में आया है संघर्ष करती यह महिला अपने सर पर प्लास्टिक पन्नी लेकर जावद नगर से इकट्ठा कर नीमच के बाजार में बेचकर जो उसे पैसे मिलेंगे उससे अपने परिवार का भरण पोषण करेगी ऐसे जीवन जीने वाले लोगों का ध्यान एक जब छपरा से भी बिसलेरी की बोतल पीना पसंद करता है यह सुविधाओं से मरहूम सुविधाओं से इन गरीब लोगों की कोई परवाह नहीं करता और सब कहते हैं अच्छे दिन आ गए ऐसे लोगों को रोजगार के लिए सरकार काम दे देती हैं जो अपने परिवार और बच्चों को पाल लेते ऐसे परिवारों के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है सर्व होता है हर मन होता है हर साल होता है हर दिन होता है और एनजीओ चलाते हैं जो सरकार की आंखों में धूल झोंकने के लिए बने हैं चंद्रलोक नाम के खातिर सरकार से टैक्स चोरी करके कुछ रुपए के कंबल चद्दर जैसी स्वेटर बताकर टाटा बिरला जैसा महान कार्य करने की वह वाली लूटने फोटो खिंचवाते और अखबार में कटे ऐसे ही कुछ मक्कार पत्रकार भी परिस्थिति अपरिचित होने का नाटक करते हैं अपरिचित होने का नाटक करते हैं साथ ही जुमलेबाजी और चमचागिरी की मिसाइल देते रहते हैं क्या इन लोगों को जीने का हक नहीं है क्या यह लोग भारत के नागरिक नहीं है सरकार इनकी या कलेक्टर महोदय को उनकी जानकारी लेना चाहिए ऐसे लोगों को चिन्हित करने की जरूरत नहीं यह थे हर गांव हर गली हर मोहल्ले में दिखाई देते हैं फिर इन लोगों की परवरिश की चिंता सरकार के नुमाइश क्यों नहीं करते हैं गरीबी और लाचारी और बेबी की जिंदगी जीते लोग सरकार के लिए काम करने वाले लोग तिल तिल कर अपनी आहुति राष्ट्र के लिए समर्पित करते लोग इन्हीं लोगों की बदौलत है जो गांव और शहरों में कचरा पानी बिनते यह लोग बिहार की जिंदगी जी रहे सरकार क्या दे रही है इन्हेंदेही सरकार की योजनाओं का सफल करने में लगे जारी ही सरकार को डूबने में लगे हुए हैं