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मानव जीवन में मृत्यु को महोत्सव बनाए भय नहीं

Neemuchhulchal ✍️✍️????️ (रिपोर्टर हुकुम सिंह) धरतिन माता मंदिर निपनिया में चल रहे संगीतमय शिव महापुराण कथा के द्वितीय दिवस शिव महिमा का वर्णन मानव जीवन में मृत्यु को महोत्सव बनाए भय नहीं शिवपुराण कथा का महात्म सदाचार, भक्ति, वैराग्य _उमरिया जिला अन्तर्गत नौरोजाबाद रेल्वे स्टेशन से महज दो किलोमीटर दूर स्थित कल्चुरी प्रतिमा के रुप मे स्थापित मां बिरासिनी जो कि धरतिन माता मंदिर के नाम सुप्रसिद्ध है आज तड़के सुबह चार बजे मां की आरती पूजा अर्चना पूरे विधि विधान से भक्तो द्वारा किया गया। तत्पश्चात सुबह सात बजे से श्री रुद्र पंच कुंडीय यज्ञ यज्ञाचार्य श्री आनंदकृष्ण भारद्वाज महराज जी और बिप्र ब्राम्हणों द्वारा यज्ञ स्थल में बैठे अठारह यजमानों सहित वैदिक मंत्रों द्वारा यज्ञ हवन आहुतियां दी गई। भक्त भगवान का स्मरण करते हुए यज्ञ स्थल की परिक्रमा लगा रहे थे वैदिक मंत्रोंचार से क्षेत्र में मनमोहक, आनंदित ,वातावरण का उदयमान हो रहा है दोपहर ढाई बजे से कथावाचक पूज्य पं. कुलदीप शास्त्री जी श्रीधाम वृन्दावन द्वारा व्यासपीठ की आरती पूजा करते हुए संगीतमय शिव महापुराण कथाज्ञान गंगा अपने मुख से श्रवण करा रहे थे की सनातन धर्म में अठारह पुराण है और सभी पुराणों की व्याख्या कथा अपने अपने स्थानों पर भगवान के लीलाओं को मानव जीवन को निस्वार्थ सेवा भाव, सदमार्गी सदगति से भगवान को स्मरण करते हुए भगवान के लोक में जानें का सदमार्ग अपने सरल शब्दों बताया। और उनमें से एक पुराण है शिव महापुराण जिसकी महिमा या महात्म बडी अपरंपार है इस मायारूपी संसार में आठासी करोड़ जीवात्मा जीने के बाद भगवान मनुष्य रूपी जीवन प्रदान करता है जो कि सभी जीव जंतु से भिन्न होकर उसके अच्छे और बुरे होने का पूरा ज्ञान आभास होता है सभी हम शिवपुराण की महिमा को अपने जीवन में उतारे, और जाने महिमा का तात्पर्य सदाचार, भक्ति, वैराग्य, धारण करना चाहिए मृत्यु से नहीं डरना चाहिए बल्कि मृत्यु को महोत्सव बना कर जीवांत जीवन जीना चाहिए। जो इस संसार में जन्म लिया है उसका नश्वर निश्चित हैलेकिन पुराणों के बताए सदमार्ग पर चलना चाहिए हमारे जीवन में तनिक सुख मार्ग जिनसे पाप लगता हैं ऐसे मार्ग को त्यागकर भगवान शिव महापुराण कथा के बताए मार्ग को अपनाकर भगवान से प्रेम करना चाहिए क्यो कि हमारे जीवन में जितने नाते रिश्तेदार घर परिवार के लोग हैं एक नियत समय और परिधि तक ही काम आयेंगे लेकिन ईश्वर अनादिकाल अनन्त है हमे उन्ही के धाम जाना है तो अपनी पूरी तन्मयता से सार्थक जीवन जीते हुए भगवान के नाम का स्मरण करना चाहिए जिससे मानव पाप रहित जीवन जीवन से मुक्ति पाकर श्रीधाम को प्राप्त होता है महराज जी के मुख से शिव महापुराण की महिमा का बड़ा सुंदर उपदेश देते हैं आप सभी महानुभावों से प्रार्थना है कि मां बिरासिनी दरबार आकार मां के दर्शन करते हुए शिव महापुराण कथा एवम पंच कुंडीय रुद्र यज्ञ पुन्य अर्जित करे।

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