Neemuchhulchal ✍️????️ (रिपोर्टर मनोज खाबिया) जिस प्रकार मकान बनाने के लिए चार स्तंभों की आवश्यकता होती है इसी प्रकार परिवार को स्वर्ग बनाने व एकता में रखने के लिए प्रेम वात्सल्य आदर सम्मान की आवश्यकता होती हैं। उक्त बात हुकमेश संघ पटधर आचार्य भंगवत 1008श्री रामलाल जी मसा की शिष्या शासन दिपीका प पू श्री पराग श्री जी मसा ने समता भवन ब्यावर में धर्म सभा के बीच श्रावक श्राविका को विशेष प्रवचन परिवार पर फरमाते हुए मार्मिक उदाहरणो से समझाया कि घर बनाने के लिए चार स्तभं की जरुरत होती है, उसी प्रकार परिवार को सुरक्षित बनाने के लिए चार स्तंभ की जरुरत होती है जिसमे पहला स्तंभ स्नेह, सहन शीलता का है जो आपस मे प्रेम करते रहते है जिससे घर में वात्सल्य भाव रहता है वो परिवार सुरक्षित व शांति से रह सकता है। आपने कहा कि परिवार मे अंहकार की आरी व कपट की कुल्हारी नही होनी चाहिए नही तो वो परिवार को तहस नहस कर देती है। अंहकार व छल कपट परिवार को बर्बाद कर देता हैं। आपने कहा कि स्नेह,सहन शीलता का खंभा कैसे मजबूत हों इस पर फरमाते हुए कहा कि परिवार में एक दुसरे के प्रति प्रेम रहें तो उस घर मे कभी आग नही लग सकती।हम जितना स्नेह व प्रेम बाहर वालो को बांटते उतना प्यार घर के सदस्यों के साथ बाटना चाहिए। पति पत्नि एक दुसरे के अवगुणो को नजर अंदाज कर तालमेल से रहें जिससे प्रेम बना रहें। हमेशा पोजिटिव सोच परिवार को कई गुणा ऊपर उठा देती हैं। हमें किसी के सामने परिवार की आलोचना नहीं करना ।अपनी बहुओं को अपने संस्कारो से बेटी बनाकर रखें तभी हमारे घर परिवार मे स्नेह,सहन शीलता बनी रहेगी। श्री पावन श्रीजी मसा ने कहा हम अमृत क्लश को देख कर अमृत पाना चाहतें है इसके लिए हमें भीतर से पुरुषार्थ करना पडेगा।जिस प्रकार हम रत्नो को बाहर खोज रहे हैं वही रत्न हमारे भीतर सम्यक रुपी ज्ञान, दर्शन,चरीत्र के रुप के रत्न पड़े हैं इनको प्राप्त करते ही हमारा जीवन अमृत क्लश के समान अमूल्य हो जायेगा। प्रभु की जिनवाणी सुनकर अपनी आत्मा को जाग्रत करें आत्म कल्याण होगा।