उमरिया- चन्देलों की बेटी थी, गौंडवाने की रानी थी, चण्डी थी, रणचण्डी थी, वह दुर्गावती भवानी थी।अपनी अंतिम सांस तक मुगलों को नाकों चने चबवाने वाली, अदम्य साहस और शौर्य की प्रतीक, महान वीरांगना रानी दुर्गावती जी के बलिदान दिवस पर जिले की सक्रिय युवाओं की टोली युवा टीम उमरिया के द्वारा उमरिया रेलवे चौराहे पर स्थापित वीरांगना रानी दुर्गावती जी की प्रतिमा पर माला अर्पण कर एवं नारे बाजी करके उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई। टीम लीडर हिमांशु तिवारी ने जानकारी देते हुए कहा कि शेरनी थी वह इस माटी की, जिससे हर दुश्मन थर्राते थे! शत्रु भी जिसकी जय बोल उठे,वह वीरांगना दुर्गावती थी!!महान वीरांगना रानी दुर्गावती जी के बलिदान दिवस पर श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं।उन्होंने कहा कि रानी दुर्गावती भारत की उन वीरांगनाओं में से एक हैं, जिन्होंने अपने शौर्य और साहस से वीरता एक नई इबारत लिखी। रानी दुर्गावती ने किसी के आगे घुटने नहीं टेके और मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए। उनका साहस और बलिदान हमेशा देशवासियों को प्रेरित करता रहेगा।रानी दुर्गावती गोंडवाना अंचल ही नहीं पूरे देश की शान थीं। उनका शौर्य आज भी अनुकरणीय और नारी शक्ति के गौरव व गरिमा का प्रतीक है।वर्तमान जबलपुर उनके राज्य का केंद्र था। रानी ने 16 वर्ष तक इस क्षेत्र में शासन किया। इनके कुशल प्रशासक और शौर्य के चर्चे अधिक थे। 24 जून, 1564 को वह युद्धभूमि में लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुईं। इनके संघर्षों से आज की युवा पीढ़ी और बालिकाओं को प्रेरणा लेने की जरूरत है।इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता नितिन बशानी, हिमांशु तिवारी,खुशी सेन,शिखा बर्मन,राहुल सिंह,सरिता तिवारी,वैष्णवी बर्मन, श्रीराम तिवारी एवं सभी उपस्थित रहे।