सरवानिया महाराज। शहर में विजयादशमी उत्सव व संघ शताब्दी वर्ष के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवको द्वारा विशाल पथ संचलन निकाला गया। जिसमे 200 से ज्यादा स्वयंसेवकों ने कदमताल मिलाते हुए विशाल पथ संचलन में भाग लिया। इस संचलन में नन्हे व वरिष्ठ गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने सभी को आकर्षित किया। इस दौरान नगरवासियों ने जगह जगह पुष्प वर्षा कर संचलन का स्वागत किया। पथ संचलन में स्वयंसेवक घोष की ताल पर कदम से कदम मिलाकर चल रहै थे। पूर्ण गणवेश में स्वयंसेवकों को देखकर पथ संचलन देखने के लिए सड़क के दोनों तरफ लोग खड़े रहे। पथ संचलन प्रातः 8 : 10 बजे पंचमुखी बालाजी मंदिर के समीप स्थित मैदान से ध्वज प्रणाम व संघ प्रार्थना के साथ प्रारंभ हुआ। जो बस स्टैंड, मिडिल स्कूल, जावी चौराहा, पिपलीचोक, दरवाजा, सदर बाजार, हरियाभेरू चोक, शिवनगर, गाड़ी लोहार बस्ती होते हुए पुनः पंचमुखी बालाजी मंदिर पहुचकर संपन्न हुआ। पथ संचलन की शुरुवात मुख्य वक्ता व विभाग पर्यावरण संरक्षण गतिविधि संयोजक यशवंत जी यादव, जावद खंड संघचालक माननीय घनश्याम जी शर्मा व खंड कार्यवाह विजय सिंह राणावत द्वारा भारत माता के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन व शस्त्र पूजन के साथ किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता यशवंत जी यादव द्वारा विजयदशमी उत्सव, संघ के शताब्दी वर्ष व पंच परिवर्तन का वर्णन अपने बौद्धिक में किया गया। श्री यादव ने सभी को विजयादशमी की शुभकामनाएं देते हुए बताया कि आज से 100 वर्ष पूर्व पूज्य डॉ. हेडगेवार द्वारा प्रारम्भ संगठन आज विराट बट वृक्ष के रूप में पूरे देश में लगभग 83 हजार शाखाओं के माध्यम से गांव- गांव तक फैला हुआ है. शाखा के माध्यम से स्वयंसेवकों के अंदर संस्कार, देशभक्ति, अनुशासन, भारत प्रथम की भावना उत्पन्न की जाती है जिसका परिणाम है कि आज देश में बाढ़, तूफान या आपदा आये तो स्वयंसेवक सबसे पहले सहयोग हेतु पहुंचता है. उन्होंने बताया कि शताब्दी वर्ष में संघ मजबूती के साथ परिवार व समाज को भी मजबूती देने के लिए पांच परिवर्तन का मंत्र लेकर काम कर रहा है। इनमें स्व का बोध, कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संवर्धन और नागरिक कर्तव्य हैं। पंच परिवर्तन कार्यक्रम को सुचारू रूप से लागू कर समाज में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। स्व के बोध से नागरिक अपने कर्तव्यों के प्रति सजग होंगे। नागरिक कर्तव्य बोध अर्थात कानून की पालना से राष्ट्र समृद्ध व उन्नत होगा। सामाजिक समरसता व सद्भाव से ऊंच-नीच जाति भेद समाप्त होंगे। पर्यावरण से सृष्टि का संरक्षण होगा तथा कुटुम्ब प्रबोधन से परिवार बचेंगे और बच्चों में संस्कार बढ़ेंगे। समाज में बढ़ते एकल परिवार के चलन को रोक कर भारत की प्राचीन परिवार परंपरा को बढ़ावा देने की आज महती आवश्यकता है। भारत में हाल ही के समय में देश की संस्कृति की रक्षा करना एक सबसे महत्वपूर्ण विषय के रूप में उभरा है सम्भावना से युक्त व्यक्ति हार में भी जीत देखता है तथा सदा संघर्षरत रहता है। अतः पंच परिवर्तन उभरते भारत की चुनौतियों का समाधान करने में समर्थ है। इस पूरे संचलन के दौरान चोकी प्रभारी श्याम कुमावत पूरे दलबल के साथ मुस्तैद रहे।