नीमच जब जब धरती पर पाप बढ़ता है तब तब महापुरुष अवतार लेते हैं। हरि अनंत हरि कथा अनंता होती है।यह बात भोलाराम कंपाउंड स्थित शिव मंदिर परिसर में क्षेत्रवासियों के तत्वावधान में श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में गुरुवार को श्रीमद् भागवत प्रवक्ता कपिल पौराणिक ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि 7 दिन तक श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा श्रवण करने से राजा परीक्षित को मुक्ति मिल गई थी।युवा वर्ग परमात्मा की भक्ति में समर्पण भाव से लीन हो और मन के भाव पवित्र रखे तो ही सच्ची साधना हो सकती है और सच्ची साधना से ही आत्मा का कल्याण होता है। शुकदेव मुनि ने माता के गर्भ में 12 वर्ष तक तपस्या की थी इस प्रसंग से यह शिक्षा मिलती है कि पांच खेल के पांच कर्मेंद्रियां और पांच ज्ञानेंद्रियां मन और बुद्धि पर संयम रखना चाहिए। मनुष्य भौतिक संसार में उलझा हुआ है सत्संग के लिए समय नहीं निकाल पा रहा है। श्रीमद् श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा को एक आसन पर ही बैठकर श्रवण करना चाहिए तभी भागवत ज्ञान गंगा की सिद्धि प्राप्त होती है। भागवत श्रवण करते समय प्रतिदिन भूमि पर ही शयन करना चाहिए। मनुष्य को संसार में रहते हुए पुण्य कर्म करना चाहिए फल की इच्छा नहीं रखना चाहिए। क्योंकि जो व्यक्ति पुण्य कर्म करता है उसे बिना मांगे ही मोती मिल जाते हैं और जो अच्छे कर्म नहीं करता है पाप कर्म करता है उससे मांगने से भी भीख नहीं मिलती है इसलिए हमें सदैव सत्य बोलना चाहिए। मोबाइल से आवश्यक काम ही करना चाहिए ।मोबाइल में फालतू सामग्री नहीं देखना चाहिए इससे समय और श्रम दोनों नष्ट होता है। जब भी समय मिले तो भक्ति तपस्या सत्संग भजन कीर्तन करना चाहिए तो आत्मा का कल्याण हो सकता है। जितना समय हम व्यर्थ करते हैं यदि उतना समय माला जाप में करेंगे तो हमारी आत्मा पवित्र हो सकती है मन को सुख शांति मिल सकती है। तनाव दूर हो सकता है। मोबाइल में समय बर्बाद करेंगे तो तनाव बढ़ता ही है तनाव से बचना है तो मोबाइल को छोड़ना पड़ेगा। भागवत ज्ञान गंगा श्रवण से मन को शांति तथा संतोष का सुख मिलता है जो संसार में कहीं नहीं मिलता है। सच्चा संत वही होता है जो सिर्फ अन्न का दान ही मांगता है अन्य दान नहीं लेता है।मन में दया भाव नहीं है और दान करते हैं तो वह सार्थक नहीं होता है इसलिए मन में दया भाव भी रखना चाहिए।जिस व्यक्ति को धन की भुख होती है वह सच्चा साधु कभी नहीं हो सकता। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा जीवन के साथ भी और जीवन के बाद भी मनुष्य का मार्गदर्शन प्रदान करती है। युवा वर्ग गोकर्ण देव पार्षद संवाद के चरित्र हमें यह शिक्षा मिलती है कि सिर्फ कथा को सुनने से नहीं कथा को ग्रहण कर जीवन में आत्मसात करने से ही आत्मा कल्याण हो सकता है। मनुष्य जीवन में यदि सफलता प्राप्त करनी है तो प्रतिदिन राम नाम का जाप करना चाहिए। विवाह संस्कार में नृत्य नहीं करना चाहिए यदि नृत्य करना है तो परमात्मा के मंदिर में ही नृत्य करना चाहिए मीरा ने अकेले ही श्री कृष्ण के मंदिर में नृत्य किया था और भक्ति करते हुए परमपिता परमात्मा की प्रतिमा में लीन हो गई थी।नृत्य दिखावे कि नहीं भक्ति को जीवन में आत्मसात करने का माध्यम है। हमारा स्वभाव सदाचार के साथ शांत होना चाहिए। धुंधकारी प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है। सदैव सत्य बोलना चाहिए। मूर्ख अहंकारी व्यक्ति झुकता नहीं है। गुणवान व्यक्ति हमेशा क्षमाशील होता है।द्रोपति ने अपने पांच पुत्रों की हत्या करने वाले अश्वत्थामा को इसलिए क्षमा कर दिया कि अश्वथामा की माता गुरु माता को उनकी मृत्यु का दुख सहन नहीं करना पड़े क्योंकि जो दुख द्रोपति ने अपने पुत्रों की मृत्यु के बाद सहन किया था।भगवान सामने हो तो प्रतिशोध की भावना समाप्त हो जाती है। इसलिए उन्होंने अश्वथामा को क्षमा करने का निर्णय लिया था।जैसा खाएंगे अन्न वैसा होगा मन जैसा पिएंगे पानी वैसी ही बोलेंगे वाणी,अंत समय हमारी जैसी मति होती है वैसी हमारी गति होती है। इसलिए हमें मनुष्य जीवन में प्रति क्षण भक्ति तपस्या सत्संग करना चाहिए ताकि मृत्यु आ भी जाए तो हमारी सद्गति हो सके। सत्य कभी नष्ट नहीं होता है। सत्य समान कोई दूसरा धर्म नहीं होता है। सत्संग कम समय के लिए मिले वह भी ग्रहण करें एक पल का सत्संग भी जीवन को परिवर्तन कर सकता है एक पल का कुसंग भी जीवन को विनाश करवा सकता है। इसलिए सदैव सत्संग सुनना चाहिए। इस पर हमें विचार करना चाहिए। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में आज शुक्रवार को भागवत प्रवक्ता पंडित कपिल पौराणिक द्वारा कपिल मुनि चरित्र अजामिल,ध्रुव चरित्र आदि विषयों के महत्व पर प्रकाश डालेंगे। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंग प्रतिदिन दोपहर 2 से 5 बजे तक श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा प्रवाहित हो रही है। श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा में भागवत पोथी पूजन के बाद महाआरती की गई। जिसमें बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित थे।