Neemuchhulchal ✍️✍️ (रिपोर्टर निर्मल मुंदडा रतनगढ़) रतनगढ़ की पावन पुण्य धारा पर 28 दिव्य जैन मुनियों का हुआ भव्य मंगल प्रवेश मंदिरों को देखने मात्र से हमारे मन मे छिपे विकारों का अंत व सारे पाप कर्मों का क्षय हो जाता है।ऐसा चिंतन करो।कि लोग आपके विचारों को सुनना और समझना पसंद करें।उक्त आशय के विचार संत श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ने रतनगढ सब्जी मंडी परिसर स्थित गांधी चबुतरे पर धर्मसभा मे दिए गए अपने दिव्य प्रवचनों के दौरान बडी संख्या मे उपस्थित श्रृद्धालु महिला पुरुष भक्त गणो के समक्ष व्यक्त किए।संत श्री ने आगे बताया कि कुछ लोग मंदिरो में भगवान का दर्शन करने के लिए जाते हैं।तो कुछ लोग दर्शन करने वालों का दर्शन करने के लिए जाते हैं।वहीं कुछ पाप के डर से,तो कुछ पापा के डर से भी मंदिर जाते हैं। सच्चा भक्त वही है।जो मंदिर में जाकर भी भगवान से कुछ नहीं मांगता।जिस प्रकार से राम भक्त हनुमान ने श्री राम से कभी कुछ भी नहीं मांगा।इसलिए स्वयं श्री राम हनुमान के हृदय में विराज मान हुए।अगर तुम चाहते हो।कि जो राम की दशा थी।वह तुम्हारी दशा हो।और जो रावण की दशा थी।वह तुम्हारी दशा ना हो।तो चरित्रवान व ज्ञानवान बनो।एवं अपने विचारों और चित्त पर लगाम लगाना सीखो।जीवन मे जो विचार तुम्हें ऊंचाई की तरफ ले जाए।उसे ग्रहण करने और जो पतन की तरफ ले जाए।उसे त्यागने का प्रयास करो।प्रवचनो के पश्चात स्थानीय समाज जनों के द्वारा संत श्री की आरती की गई।इसके पश्चात आचार्य श्री ससंघ अति प्राचिन मन्दिर भी पहुंचे।जहां पर एक ही परिसर मे एक तरफ श्वेतांबर, दिगंबर एवं दूसरी तरफ वैष्णव संप्रदाय के मंदिरो को देखकर अति प्रसन्नता व्यक्त कर दोनो मंदिरों मे भगवान के दर्शन कर आगे के लिये विहार किया।इसके पूर्व रतनगढ नगर में परम पूज्य गणाचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य श्रमणाचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज ससंघ 27 साधुओं का बैंड बाजो पर बज रहे सुमधुर भजनो की धुन पर गुरुदेव के जयकारे लगाते भव्य मंगल प्रवेश प्रातः9 बजें नगर मे हुआ। प्रवेश के दौरान समाज जनो द्वारा आचार्य श्री संसघ का प्राद प्रक्षालन कर आरती उतार कर आगवानी की गई। ज्ञात रहे कि आचार्य श्री संसघ रावतभाटा मे पन्चकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न करवाने के पश्चात विहार रतलाम की और चल रहा है। जहां आगामी 22 फरवरी से 26 फरवरी तक भव्य पन्च कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न होगा।मंगल प्रवेश के दौरान रतनगढ,सिंगोली, कांकरिया तलाई,बेगु, बौराव,चैची,इंदौर सहित कई स्थानो के समाज बंधु बडी संख्या मे उपस्थित थे।