logo

मासूम बच्चों को तस्करी के नाम पर बनाया जा रहा है अपराधी और मुख्य अपराधी घूम रहे हैं सफेदपोश बनकर बाहर

(ब्यूरो रिपोर्ट,,, दशरथ माली चचोर)मासूम युवाओं को तस्करी के नाम पर बना दिया अपराधी जबकि मुख्य तस्कर आज भी सफेदपोश बन स्वतंत्र घूम रहे 8/29 की कार्रवाइयों से बचने के लिए पुश्तैनी जमीनों को बेचने पर मजबूर किसान हालात बद से बदतर, तस्करों से भी अधिक सक्रिय है भ्रष्ट पुलिस वाले समाज को शर्मिंदा करने वाली पुलिसिंग, ईमानदार अफसर भी शंकाओं की घेरे में अजय जगदीश चंद्र चौधरी, अजेय योद्धा नीमच। अफीम की पैदावार के लिए देशभर में जाना जाने वाला नीमच जिला कुछ पैसों के लोभी पुलिस वालों के लालच के चलते अवैध कमाई का अड्डा बन गया है। नीमच में पुलिसिंग के हालात बद से बदतर हो गए हैं, भोपाल स्तर पर नीमच पुलिस के तोड़ बट्टटो की खबरें पहुंचने के बावजूद भी नीमच के कुछ पुलिसकर्मी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे है, हर गांव में अफीम किसानों को या तो इन्होंने तस्कर बना रखा है या मुखबिर और अपने इसी तंत्र के बल पर आए दिन कई अवैध कमाई की कई घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। नीमच में आज तस्कर या अपराधी इतने अधिक सक्रिय नहीं है जितनी पुलिस वाले। अवैध कमाई की चाशनी इनके मुंह ऐसी लगी है कि इसके लिए ये हर हद से गुजर कर काम करने में भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। पिछले दिनों ऐसा ही मामला सामने आया जिसमें सूत्रों के हवाले से एक बड़ी जानकारी सामने आई जहां एक थाना प्रभारी ने अपने मुखबीर तंत्र के माध्यम से एक कार्रवाई की और एक व्यक्ति पर केस कायम किया और तीन आरोपियों को एक ढाबे पर लाखों के तोड़ बट्टो के माध्यम से खुली जमानत मिल गई। इस मामले में आरोपियों के परिजनों ने अपनी साख बचाने के लिए पुश्तैनी जमीनों को खुर्द बुर्द कर मामले को रफा दफा किया। 2 दिन में पैसा इकट्ठा कर थाना प्रभारी की कभी न मिटने वाली भूख को शांत करने का प्रयास किया। एनडीपीएस की धारा 8/29 का उपयोग कर के कई मासूम परिवारों को बुरी तरह से चकनाचूर कर देने वाली यह पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली शुरू से शंका के घेरे में है। कई गंभीर अपराधों में अपराधियों को पकड़ने में नाकामयाब रहने वाली जिले की पुलिस एनडीपीएस के तंत्र में बड़ी सक्रिय होकर कार्यवाही करती है। आश्चर्य की बात यह है कि मात्र दो दिन में एनडीपीएस की कार्रवाई में आरोपियों के नाम उजागर कर प्रेस नोट डालकर पुलिस कार्रवाई की इतिश्री कर देती है। साथ ही उस प्रकरण में एनडीपीएस की कार्यवाही के पीछे 8/29 के कितने लोगों को आरोपी बनाया गया, यह कभी भी मीडिया को नहीं बताया जाता। नीमच में पुलिसिंग का यह आलम है कि क्षेत्र में जिले के सबसे बड़े समाजसेवी पर जानलेवा हमला होने के बाद उस मामले के कुछ आरोपी आज भी पुलिस गिरफ्त से दूर हैं मगर एनडीपीएस के आरोपियों को नीमच की पुलिस राजस्थान की अंतिम बॉर्डर से लाने में भी कामयाब हो जाती है। आखिर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी कब इस मामले को गंभीरता से लेंगे और ऐसे भ्रष्ट पुलिस कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर समाज को एक अच्छा संदेश देंगे? नीमच में पुलिसिंग को लेकर और भी कई मामले ऐसे जो आम जनता से अभी भी है दूर, हम उन्हें करेंगे जनता के बीच उजागर बने रहिए अजेय योद्धा के साथ

Top