जब-जब भी मोदी सरकार संकट में आती है, तत्काल गोदी मीडिया सर्वे आ जाता है, जो यह बताता है कि- 2024 के चुनाव में बीजेपी की सीटें कम होंगी, लेकिन सरकार मोदी की बनेगी? जबकि.... लगातार बिखर रहा है मोदी का एकछत्र सियासी साम्राज्य!! मजेदार बात यह है कि यदि गोदी मीडिया सर्वे के हिसाब से भी जो सीटें एनडीए को मिल रही हैं, उनमें से 25-30 सीटें कम हो गई तो भी मोदी सरकार बहुमत खो देगी! एक ताजा हुए सर्वे के हवाले से गोदी खबरों में कहा जा रहा है कि- अभी चुनाव होते हैं तो बीजेपी नीत एनडीए को 298 सीटों पर जीत मिलती दिख रही हैं? जबकि.... यही सर्वे बताता है कि महाराष्ट्र, बिहार और कर्नाटक में बीजेपी को बड़ा नुकसान हो रहा है, तो फिर सीटें कहां से आ रही हैं? कुछ समय पहले तीसरे मोर्चे के मजबूत होने को भी गोदी मीडिया कांग्रेस का नुकसान बता रहा था, आइए देखते हैं सियासी गणित क्या कह रही है.... सबसे पहले गोदी मीडिया सर्वे की ही बात करें, तो तीन बड़े राज्यों- महाराष्ट्र, बिहार और कर्नाटक में यूपीए की सीटें और वोट प्रतिशत बढ़ने का अनुमान लगाया गया है, महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 34 यूपीए को मिल सकती हैं, पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए ने महाराष्ट्र में 41 सीटों पर जीत हासिल की थी, बिहार में 40 में 25 सीटें इस बार यूपीए को मिल सकती हैं, जबकि पिछली बार एनडीए ने यहां 39 सीटें जीती थीं, इसी तरह कर्नाटक में यूपीए को 17 सीटें मिल सकती हैं? इन कम होनेवाली सीटों की भरपाई कहां से होगी, क्योंकि.... राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, उत्तरप्रदेश, हरियाणा आदि राज्यों में तो बीजेपी पहले से ही अधिकतम सीटों पर है, लिहाजा इन राज्यों में बीजेपी की सीटें कम तो हो सकती हैं, बढ़ नहीं सकती हैं? और.... दक्षिण भारत में तो बीजेपी के लिए कोई खास संभावना नहीं है, यह गोदी मीडिया सर्वे भी मान रहा है? अब, तीसरे मोर्चे की बात.... एक- यदि अरविंद केजरीवाल ताकतवर होते हैं, तो लोकसभा चुनाव में दिल्ली में किसकी सीटें कम करेंगे? पंजाब में या तो सीटें आप को मिलेंगी या फिर कांग्रेस को, बीजेपी को क्या मिलेगा? दो- केसीआर की ताकत बढ़ती है, तो तेलंगाना में सीटें किसकी कम होंगी, बीजेपी को क्या मिलेगा? तीन- यदि अखिलेश यादव की यूपी में ताकत बढ़ती है, तो किसकी सीटें कम होंगी? चार- यदि ममता बनर्जी की पश्चिम बंगाल में ताकत बढ़ती है, तो वहां किसकी सीटें कम होंगी? पांच- पॉलिटिकली एक्सपोज होने के बाद मायावती, ओवैसी जैसे नेताओं के दलों की लोकसभा चुनाव में मौजूदगी अब बीजेपी का कुछ खास फायदा नहीं कर पाएगी? पीएम नरेंद्र मोदी का 2014 से देशभर में कायम एकछत्र सियासी साम्राज्य अब बिखरने लगा है, पिछले कुछ विधानसभा चुनावों के नतीजों पर नजर डालें, तो गुजरात को छोड़कर कहीं भी मोदी का सियासी जादू नहीं चल रहा है? सियासी सयानों का मानना है कि अडानी प्रकरण के बाद, पीएम मोदी की बाहर ही नहीं, पार्टी के अंदर भी स्थिति बहुत कमजोर हुई है, ज्यादातर बड़े नेता इस प्रकरण में खुलकर मोदी सरकार के साथ खड़े नजर नहीं आ रहे हैं, बल्कि ज्यादातर नेता- ठहरो और देखो, के अंदाज में खामोश हैं? यही नहीं, बीजेपी समर्थकों का बहुत बड़ा वर्ग 2024 में पीएम मोदी के बजाए योगी आदित्यनाथ को पीएम फेस के तौर पर देखने को उत्सुक है, जबकि बतौर पीएम मोदी उत्तराधिकारी गोदी मीडिया अमित शाह का नाम लगातार आगे बढ़ा रहा है! इतना ही नहीं, यदि इतना ही नहीं, यदि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राफेल सौदे, पेगासस जैसे मुद्दो पर खुलासे होते हैं, तो हालात और भी बिगड़ेंगे? काहे धमाल मचा रहा है.. #चौकीदार_ही_चोर_है ? कोई लाख करे चतुराई, करम का लेख मिटे ना रे ,,,, बीबीसी दफ्तर पर आयकर विभाग का सर्वे, होना-जाना क्या है, लेकिन.... पूर्व प्रधानमंत्रियों को अपमानित करने वाले सर्वे पर मीडिया को शर्म क्यों नहीं आती? क्या जाति आधारित सर्वेक्षण 2024 के लोकसभा चुनाव तक बड़ा मुद्दा बन सकता है? जातिगत जनगणना के साथ विस्तार से आर्थिक सर्वे भी होना चाहिए?